दंपत्ति पर हाथी ने किया हमलाः पत्नी की मौत, पति ने भागकर बचाई जान

कोरबा 10 जून। लंबे समय से हाथी समस्या से जूझ रहे वनमंडल कोरबा में मुश्किलें जस की तस हैं। आज सुबह हाथी की हमले में एक ग्रामीण महिला की मौत हो गई। वह अपने पति के साथ धान बीज लेने गिरारी जा रही थी। आपात परिस्थितियों में पति ने भागकर अपनी जान बचाई। हाथी के हमले में हुए घटनाक्रम की खबर मिलने पर वन विभाग की टीम कुछ घंटे बाद मौके पर पहुंची। करतला पुलिस को इस बारे में अवगत कराया गया है। उक्तानुसार आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।

आज सुबह लगभग 05 बजे के आसपास यह घटना वनमंडल कोरबा के अंतर्गत हुई। अधिकारिक जानकारी में बताया गया कि 50 वर्षीय आदिवासी महिला यादोबाई कंवर का हाथी सामना हुआ और आखिरकार उसके प्राण पखेरू उड़ गए। बासिन ग्राम पंचायत क्षेत्र की निवासी मृतका अपने पति वृक्षराम कंवर 55 वर्ष के साथ धान बीज लेने के लिए बासिन से गिरारी गांव जाने निकले थे। उन्हें नहीं पता था कि संबंधित रास्ते में हाथी मौजूद हैं और उनकी हरकतें जारी है। बताया गया कि देर रात ही एलोंग गांव से एक दंतैल हाथी कलमीटिकरा पहुंचा था। वनकर्मी भी इस बारे में अनभिज्ञ थे और इसलिए उनकी ओर से सुरक्षात्मक प्रयास नहीं किये जा सके। इधर हाथियों की पहुंचने के कुछ घंटे बाद ही सुबह जब आदिवासी दंपत्ति कृषि कार्य के संबंध में गिरारी के तरफ जा रही थी तभी वनमंडल के श्यांग परिसर के पास एक जगह दंतैल हाथी ने अटैक कर दिया। विशालकाय हाथी को अपने काफी करीब पाकर महिला को न तो भागने का मौका मिला और न ही सोचने का। अगले ही क्षण हाथी ने महिला को पटककर जान ले ली। पता चला कि इस दौरान पति वृक्षराम ने साहस जरूर दिखाया लेकिन अपनी जान बचाने के लिए उसने जंगल के रास्ते में दौड़ लगा दी। मामले के बारे में उसने वन विभाग के स्थानीय कर्मियों को जानकारी दी। कुछ देर बाद अमले के साथ पहुंचे वन अधिकारियों ने मौके का जायजा लिया तो संबंधित क्षेत्र में महिला को मृत पाया गया। कोरबा से विभाग के उच्च अधिकारियों की पहुंच घटना स्थल पर हुई है। मामले को लेकर पुलिस को अवगत कराया गया। सुरक्षा व्यवस्था के साथ मृतका का शव पंचनामा के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।

कोरबा जिले के दोनों वनमंडलों में हाथ उत्पात का मसला लगभग डेढ़ दशक से बना हुआ है और इनमें लगातार जन-धन की हानि हो रही है। हाथियों को नियंत्रित करने के लिए इन वर्षों में कई प्रकार की कोशिश की गई और भारी-भरकम धनराशि भी खर्च की गई। असम की जान-मानी हाथी ट्रेनर पार्वती बरुआ के अलावा केरल के कुमकी हाथी भी यहां लाए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त पावर फेंसिंग के साथ-साथ जशपुर क्षेत्र की अत्यंत तेज असर वाली मिर्च के पौधों का रोपण भी सीमाई क्षेत्र में हाथियों को रोकने के लिए किया गया लेकिन नतीजे सिफर रहे। बासिन क्षेत्र में दंतैल हाथी के हमले में एक आदिवासी महिला की मौत हुई है। हाथी की उपस्थिति को लेकर क्षेत्र के लोगो को अलर्ट किया जा रहा है। मौजूदा मामले में पीडित परिवार को शुरुआती राशि दे दी गई है। ऐसे प्रकरण में 6 लाख रुपए की सहायता दिया जाना प्रावधानित है। प्रक्रिया पूरी करने के साथ अंतर की राशि जल्द उपलब्ध कराई जाएगी।

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