धरती के पर्यावास को सुरक्षित रखने के लिए बढ़ते तापमान को नियंत्रित करना जरूरीः बंजारा

एबीवीटीपीएस मड़वा में विश्व पर्यावरण दिवस पर विविध प्रजाति के पौधे रोपे गए

कोरबा-जांजगीर 06 जून। दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने रिसर्च में पाया है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। मानव के साथ पेड़-पौधों और जीव जंतुओं को एक निश्चित तापमान की आवश्यकता होती है। यह बातें कार्यपालक निदेशक एसके बंजारा ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कही। श्री बंजारा ने पर्यावरण संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि धरती के पर्यावास को सुरक्षित रखने के लिए बढ़ते तापमान को नियंत्रित करना जरूरी है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि धरती को मरूस्थल बनने से रोकें और पर्यावरण सुधार के लिए आवश्यक पहल करें।

अटल बिहारी वाजपेयी ताप विद्युत गृह (एबीवीटीपीएस) मड़वा में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर 5 से 11 जून तक सप्ताहभर विविध कार्यक्रम आयोजित होंगे। बुधवार को प्रशासनिक कार्यालय भवन परिसर में कार्यक्रम के अध्यक्ष एसके बंजारा, विशिष्ट अतिथि अतिरिक्त मुख्य अभियंता प्रवीण श्रीवास्तव, एसडी द्विवेदी, आरके साव, एन. लकरा एवं अतिथियों द्वारा विभिन्न प्रजाति के पौधों का रोपण किया गया।

कार्यक्रम के शुभारंभ समारोह में बहेराडीह किसान स्कूल के संचालक दीनदयाल यादव ने पेड़-पौधे लगाने के साथ ही उनकी नियमित देखभाल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास सतही न होकर जमीनी स्तर का होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने किसान स्कूल में पर्यावास संरक्षण के साथ राखड़ का खेती-किसानी पर किए जा रहे नवाचार के विषय में विस्तार से बताया।

कार्यक्रम का समन्वय एवं संचालन करते हुए सहायक प्रबंधक (पर्यावरण) संजय झा ने चलचित्र के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। श्री झा ने बताया किविश्व पर्यावरण दिवस के लिए इस वर्ष 2024 की थीम- ‘‘भूमि का पुर्नोद्धार मरूस्थलीकरण व सूखे से निपटने की शक्ति ’’ है। इसके साथ ही नारा -‘‘हमारी भूमि हमारा भविष्य, हम पुर्नोद्धार की पीढ़ी है’’। इन्हीं विषयों पर अधिकारी, कर्मचारी, श्रमिक एवं आवासीय परिसर के बच्चों के लिए नारा, निबंध एवं पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाएगा। इसके साथ ही विभिन्न जगहों पर सफाई, नुक्कड़ नाटक, व्याख्यान एवं चलचित्र का प्रदर्शन किया जाएगा। इस अवसर परविभिन्न वृत्तों के अधीक्षण अभियंता, कार्यपालन अभियंता समेत बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारी एवं श्रमिकों की सहभागिता रही।

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