नागपंचमी का ऐसा मेला, जहां कुंड का पानी पीने से दूर हो जाता है दुख
छत्तीसगढ़ / राहुल डिक्सेना
बिलासपुर. जांजगीर-चांपा जिले में अकलतरा के पास ग्राम पंडरिया में दलहा पहाड़, मुनि का आश्रम और सूर्यकुंड प्रसिद्ध है यहां हर साल के एक दिन नागपंचमी पर इस कुंड की महत्ता सबसे ज्यादा होती है। इसका पानी पीने हजारों लोग जंगलों, पर्वतों और पत्थरों से भरे रास्ते पैदल आते हैं। लंबा रास्ता तय करने के बाद चार किलोमीटर की सीधी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। यहां के पंडित उमाशंकर गुरुद्वान के मुताबिक, ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन कुंड का पानी पीने से लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहता है। लोगों में किसी भी प्रकार की बीमारी हो, यहां का पानी पीने से चली जाती है। इसलिए हर साल लाखों की तादाद में श्रद्धालु भक्त नागपंचमी के दिन इस कुंड का पानी पीने कई किलोमीटर दूर से पैदल चलकर आते हैं।
यहां घने जंगल के अंदर से जब श्रद्धालु आते हैं तो उन्हें कटीले पौधों और पथरीली पहाड़ों से होकर गुजरना पड़ता है। कितने श्रद्धालुओं के पैरों में कांटे गड़ते हैं, इस जंगल में कीड़े और सांप भी रहते हैं। लेकिन श्रद्धालु भक्त बगैर डरे अपनी मंजिल की ओर बढ़ते चले जाते हैं।
उंचाई पर चढ़ेंगे तो इनके मिलेंगे दर्शन
चार किमी की ऊंचाई चढ़ने के बाद यहां नागेश्वर मंदिर, विशेश्वरी व नागेश्वरी देवी का मंदिर और चतुर्भुज मैदान व तालाब है। यहां एक रहस्यमयी गुफा भी है। यह कहां खुलता है, इसका पता अभी तक कोई भी नहीं लगा सका है।
पहाड़ पर हैं 10 कुंड
पहाड़ पर 10 कुंड हैं। भक्त चारों ओर से पहाड़ पर चढ़ते हैं। अब तक ग्रामीण 8 कुंड ही देख पाए हैं। दो कुंड के बारे में किसी को ही पता है। पहाड़ के चारों ओर कोटगढ़, पचरी, पंडरिया व पोड़ी गांव हैं।