बच्चों को बचपन से ही सिखाना चाहिए बुजुर्गो का मान-सम्मान करना : जिला न्यायाधीश
जिला न्यायालय में वरिष्ठजनों के कल्याण से संबंधित विशेष प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ आयोजन
कोरबा 26 अगस्त। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 के तहत् वरिष्ठजनों को उनके अधिकारों के संबंध में जागरूक किए जाने के प्रयोजन से जिला न्यायालय परिसर के ए.डी.आर. भवन में जिला एवं सत्र न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री डी.एल. कटकवार की अध्यक्षता में कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुश्री संघपुष्पा भतपहरी, अपर सत्र न्यायाधीश (एफ.टी.सी.) श्रीमती ज्योति अग्रवाल, जिला न्यायालय के अन्य न्यायाधीश एवं जिले के विभिन्न अनुभागों के एसडीएम, जिला अधिवक्ता संघ के सदस्य सहित पैरालीगल वॉलिंटियर्स उपस्थित थे।
जिला न्यायाधीश श्री कटकवार ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम की शुभारंभ करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय सुरक्षा, कल्याण और संरक्षण देने के लिए माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण एक्ट, 2007 लागू किया गया था। इस एक्ट में बच्चों से यह अपेक्षा की गई है कि वे अपने माता-पिता को मेंटेनेंस (भरण-पोषण या गुजारा भत्ता) दें। साथ ही सरकार से यह अपेक्षा की गई है कि वह ओल्ड एज होम्स बनाए और वरिष्ठ नागरिकों को मेडिकल सहायता सुनिश्चित करे। उन्होंने बताया कि एक्ट भरण-पोषण को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक ट्रिब्यूनल और अपीलीय ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है। कोई वरिष्ठजन, जिसकी आयु 60 वर्ष या अधिक है, इसके अंतर्गत माता-पिता भी आते हैं, जो स्वयं आय अर्जित करने में असमर्थ है अथवा उनके स्वामित्वाधीन संपत्ति में से स्वयं का भरण पोषण करने में असमर्थ है, ऐसे व्यक्ति उक्त अधिनियम के अंतर्गत भरणपोषण हेतु आवेदन करने हेतु हकदार है। जिला न्यायाधीश ने कहा की प्रत्येक परिवार को अपने बच्चों को बचपन से ही ऐसे संस्कार देना चाहिए की वे अपने से बड़े बुजुर्गों का सदैव निष्ठा के साथ मान-सम्मान करें जिससे माता-पिता बूढ़े होने पर उनके बच्चे उनका उचित ध्यान रख सकें जिससे वरिष्ठजनों का जीवन स्तर में सुधार हो।
इसी प्रकार प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सुश्री भतपहरी ने अपने वक्तव्य में कहा की बच्चों का कर्तव्य बनता है की वे अपने बुजुर्ग माता-पिता का बुढ़ापे में ख्याल रखे। आज हम अपने माता-पिता का सम्मान करेंगे तभी हम आने वाले समय में अपने बच्चों से अपनी सेवा की उम्मीद कर सकते है। कार्यशाला में उपस्थित अन्य न्यायाधीशों ने अधिनियम के तहत होने वाली कार्यवाहियों एवं प्रक्रिया के संबंध में विस्तार से जानकारी प्रदान करते हुए वरिष्ठजनों का जीवन स्तर में सुधार हेतु अनेक उदाहरण प्रस्तुत किए। साथ ही अधिनियम से संबंधित पूछे गए प्रश्नों के उत्तर भी प्रदान किए। कार्यशाला के अंत में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती निकुंज द्वारा सभी वरिष्ठजन, न्यायिक अधिकारियों का आभार प्रदर्शन किया गया। कार्यशाला में पैरालीगल वॉलिंटियर्स के द्वारा माता-पिता भरण पोषण अधिनियम 2007, वरिष्ठजनों के कल्याण एवं नेशनल लोक अदालत से संबंधित विधिक पाम्पलेटों का वितरण कर विधिक जानकारियों का प्रचार प्रसार भी किया गया।