नगर निगम कोरबा की घटिया सड़क निर्माण की खुली पोल, आखिर चार माह में ही क्यों उखड़ जाती हैं करोड़ों की सड़कें
कोरबा 2 सितंबर। इस बारिश के मौसम ने नगर पालिक निगम कोरबा के घटिया सड़क निर्माण कार्य की पोल खोलकर रख दी है। नगर निगम क्षेत्र की डामर की सभी सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गयी हैं। सड़कों पर जीरा गिट्टी के जमाव और उड़ती धूल के कारण आवागमन दुश्कर हो गया है।
याद रहे कि नगर निगम कोरबा में पिछले करीब पांच वर्षों से सर्वोच्च प्राथमिकता देकर डामरीकरण के कार्य कराये गये। इस तरह डामरीकरण कराने के पीछे क्या कोई खास उद्देश्य था, यह तो नगर निगम के अधिकारी ही बता सकते है, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि डामरीकरण के बाद पहली ही बारिश में निगम क्षेत्र की डामर की सड़कें हर साल उखड़ जाती है और सड़क पर बिखरी जीरा गिट्टी तथा वाहनों के चलने से उड़ने वाले डस्ट के कारण बगैर चश्मा सड़क पर पैदल और दो पहिया वाहन से चलना कठिन हो जाता है।
वर्तमान में भी समूचे कोरबा शहर और नगर निगम क्षेत्र की डामर की सड़कें उखड़ गयी हैं। राह चलते लोगों की आंखों में बारिक कंकड़ और धूल पड़ने के चलते कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। नगर निगम के कार्यों का गुणवत्ता का हाल यह है कि कोरोना काल में कराई गयी शहर के मुख्य मार्ग की सड़क चार माह भी नहीं चली। सबसे बुरी हालत इतवारी बाजार तिरोह की है, जहां मुख्यमार्ग की सड़क का बड़ा हिस्सा खराब हो गया है। यही हाल सिटी कोतवाली, सुनालिया नहर पुल, टी.पी.नगर से शारदा विहार रेल्वे, क्रासिंग, मुरारका पेट्रोल पम्प बुधवारी से निहारिका आदि क्षेत्र का है।
प्रति वर्ष करोड़ों रूपयों की लागत से बनने वाली नगर निगम क्षेत्र की सड़कें तीन चार माह में ही क्यों उखड़ जाती है? यह एक बड़ा सवाल है। वर्षों से भ्रष्टाचार के लिए बदनाम पूर्व विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) और अब नगर निगम कोरबा में 30 से 40 वर्षों से पुराने अधिकारी अंगद के पांव की तरह जमे हुए हैं। सरकार भाजपा की हो या कांग्रेस की, ये अधिकारी कोरबा से टस से मस नहीं होते। यहां पर तो जेल यात्रा कर चुके अधिकारी भी सालों से जमे हुए हैं। शायद डामरीकरण का राज इन्हीं अधिकारियों के सीने में दफन हैं, जो उच्च स्तरीय जांच से उजागर होगा?
क्या नगर निगम के भ्रष्टाचार पर रोक लगाएगी भूपेश सरकार?
भारतीय जनता पार्टी की सरकार में नगर निगम के भ्रष्टाचार के खिलाफ ना तो मंत्री ने कभी कोई कार्यवाही की न ही किसी अफसर ने। आम जनता ने मान लिया था कि थैली ऊपर तक पहुंच रही है। तभी तो आये दिन कोरबा आने वाले मंत्री अमर अग्रवाल को भ्रष्टाचार दिखाई नहीं देता था। अब वही स्थिति भूपेश सरकार की भी हो गई है।