कोरोना, लक्ष्य से ज्यादा जांच करने की बनाई व्यवस्था
कोरबा 24 अपै्रल। जिले में कोरोना के नए वेरिएंट की एंट्री भले ही नहीं हुई है लेकिन पुराने वैरीअंट के साथ ही इसकी उपस्थिति ने चिंता बढ़ाई है । अब तक की स्थिति में एक्टिव प्रकरणों की संख्या बढ़कर 85 पहुंच गई हैं। जबकि सभी तरह के ऐसे केस 115 के आसपास बताये जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग कुल 5 स्थानों पर कोरोना से संबंधित मरीजों की जांच के लिए व्यवस्था कर रखी है। विभाग ने अपील की है कि सामान्य लक्षण नजर आने पर लापरवाही बरतने के बजाय सीधे जांच केंद्र पहुंचे और सुविधा का लाभ लें।
कोरबा के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एसएन केसरी ने बताया कि जिले के लिए प्रतिदिन निश्चित संख्या में संदिग्ध कोरोना मरीजों की जांच करने के लिए हमें लक्ष्य प्राप्त हुआ है। इसके मुकाबले में मौजूदा संसाधन और व्यवस्था के अंतर्गत हमारे तकनीकी हमले के द्वारा अधिक संख्या में जांच की जा रही हैं और इसकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जांच का काम मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के साथ-साथ 5 कम्युनिटी हेल्थ सेंटर स्तर पर किया जा रहा है। स्थानों पर जांच के लिए सभी जरूरी किट और आवश्यक संसाधन मुहैया कराए गए हैं। लेबोरेटरी को एडवांस करने के साथ उसे अपडेट किया गया है ताकि किसी भी तरह की व्यवस्था पर असर ना पड़े। सीएमएचओ ने बताया कि इससे पहले सरकार के द्वारा दिए गए गाइडलाइंस के हिसाब से हमने कोरोना को लेकर की जाने वाली तैयारी का मॉक ड्रिल किया है। ऑक्सीजन प्लांट के साथ.साथ ऑक्सीजन सप्लाईए दवाओं की उपलब्धता और आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था के स्तर पर जो कुछ काम होना चाहिए उसे पूर्ण कर लिया गया है। प्रदेश और कोरबा जिले में कोरोना के नए मामले उस समय आ रहे हैं जब अधिकांशत लोगों को दो मौके पर वैक्सीनेशन किया जा चुका है और बूस्टर डोज की सुविधा दी गई है। इसके पीछे अलग-अलग कारण हो सकते हैं और इस पर अध्ययन जारी हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा लोगों से कहा गया है कि सर्दी, खांसी और गले में जलन जैसे लक्षण होने पर उन्हें तुरंत स्वास्थ्य विभाग की मदद लेने की जरूरत है। लोगों से कहा गया है कि अनिवार्य रूप से मास्क लगाने के प्रति गंभीरता दिखाए। जरूरी ना हो तो भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचें।
किसी बीमारी के लिए उपचार प्राप्त करने के लिए लोग अगर अस्पताल का रुख कर रहे हैं तो उन्हें मास्क का उपयोग करना ही चाहिए। ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि अस्पताल में अलग-अलग श्रेणी के मरीज होते हैं और उनके संपर्क में आने के साथ सामान्य मरीजों की समस्या बढ़ सकती हैं। ऐसी स्थिति में सामान्य मरीज मास्क का उपयोग करने पर अपना बचाव काफी हद तक कर सकता है।