पानी की तलाश में भटककर गांव की ओर पहुंच रहे हिरण, हो रहे कुत्तों का शिकार
कोरबा 24 अपै्रल। तपत धूप का असर तेज होने के साथ वनक्षेत्रों जल संकट बढऩे लगी है। पानी की तलाश में भटककर गांव की ओर आने वाले आधा दर्जन से अधिक हिरण हर साल कुत्तों का शिकार हो जाते हैं। इसके बाद भी वन विभाग में वन्य जीवों के पेयजल सुनिश्चत करने के लिए सासरपीट यानि पानी पीने का कुंड नहीं बनाया गया है।
जिले कोरबा व कटघोरा वन मंडलों में पाली, चैतमा करतला ऐसे वन परिक्षेत्र हैं जहां हिरण बहुतायत संख्या में पाए जाते हैं। क्षेत्रों में पेड़ों की लगातार कटाई के कारण अनुकूल वातावरण वन्य जीवों के लिए प्रतिकूल होने लगे हैं। पानी की तलाश में हिरण झुंड के झुंड गांव के तालाब में प्यास बुझाने आते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कुत्तों की संख्या बढऩे से हिरणों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। सघन जंगल होने से हिरण सहित अन्य वन्य जीव सुरक्षित थे। बसाहट बढऩे से वन भूमि भी सिमटने लगी है। लोगों की बसाहट के साथ कुत्तों का दखल वन क्षेत्रों में बढ़ गया है। जंगल से लगे राहा, सपलवा, मदनपुर, मड़वारानी पहाड़ के आसपास गांवों के तालाबों में आए दिन हिरणों को पानी पीने के लिए आते देखा जा सकता है।
कुत्तों की बढ़ती संख्या समस्या बनी हुई है। शिकार के कारण हर साल इन क्षेत्रों 10 से 12 हिरणों की मौत हो जाती है। कुत्तों की नशबंदी केवल शहरी क्षेत्रों तक है। वन विभाग की ओर से इस मामले में कारगर कदम नहीं उठाए जाने की वजह से हिरण ग्रामीण कुत्तों की आतंक का हर साल शिकार होते हैं। सुरक्षा के व्यापक उपाय नहीं किए जाने की वजह से कुत्ते हिरण ही नहीं बल्कि गांव में गाय, बकरी, बछड़े को भी अपना शिकार बनाते हैं। संख्या अधिक होने से छोटे बच्चों के लिए भी घातक होते हैं। जिला प्रशासन की ओर से मामले को गंभीरता से नहीं लिए जाने की वजह से है। आए दिन अस्पतालों में कुत्तों के काटने से इलाज कराने के लिए आने वालों की संख्या बढ़ रही है।