PDS की कालाबाजारी जारी, फिर पकड़ा गया परिवहनकर्ता, किसी अधिकारी के बेनामी पार्टनरशिप की चर्चा
सिटी कोतवाली पुलिस ने शुरू की जांच
कोरबा 26 फरवरी। जिले में पी. डी. एस. यानि शासकीय उचित मूल्य के राशन की कालाबाजारी निर्वाध गति से जारी है। जिला प्रशासन इस पर रोक लगाने में नाकाम रहा है। बीती रात सिटी कोतवाली पुलिस ने पी. डी. एस. परिवहन करने वाले एक वाहन को संदिग्ध अवस्था में पकड़ा है। मामले की जांच की जा रही है।
मिली जानकारी के अनुसार सिटी कोतवाली पुलिस ने शनिवार की रात डी. डी. एम. स्कूल रोड, तुलसीनगर के बालाजी आटा चक्की के सामने से एक वाहन क्रमांक सी.जी. 12 ए. एक्स. 3224 को पकड़ा। इस वाहन में पी. डी. एस. का चावल लोड था। प्रारंभिक जांच में पुलिस को पता चला कि पीडीएस का चावल नगर के शिवाजी वार्ड के राशन दुकान के लिए भेजा गया था, लेकिन वाहन डी. डी. एम. रोड में बालाजी आटा चक्की भेज दिया गया था। संदेह है कि- उक्त राशन की काला बाजारी की जा रही थी। खास बात यह है कि पकड़ा गया वाहन भी बालाजी फर्म का ही बताया जा रहा है। यह फर्म जिले के कोरवा चाम्पा मार्ग के बरपाली गांव में राईस मिल भी चलाता है। पी.डी.एस. का चावल रि- सायकलिंग होकर कस्टम मिलिंग में जमा किये जाने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
यहां उल्लेखनीय है कि गत वर्ष जिले के पी. डी. एस. परिवहनकर्ता को राशन चोरी के आरोप में हटा दिया गया था। लेकिन इसके बाद से जिले में बिना टेण्डर पी. डी. एस. का परिवहन कराया जा रहा है। बताया जाता है कि- नये परिवहनकर्ता भी राशन दुकानदारों से सांठगांठ कर राशन की हेराफेरी करने लगे हैं। एक बार फिर पी. डी. एस. का चावल राशन दुकानों की जगह जिले के राईस मिल मालिकों तक पहुंच रहा है और दोबारा से कस्टम मिलिंग बताकर नान के गोदामों में जमा हो रहा है। मामले की बारीकी से जांच होने पर जिले के कई राईस मिल संचालकों द्वारा पीडीएस चावल की रि- साइक्लिंग किये जाने का खुलासा हो सकता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि जिला प्रशासन बिना टेंडर किये ही कई माह से राशन का परिवहन करा रहा है, जो जिला प्रशासन के अधिकारियों को संदिग्ध बनाता है।
आपको बता दें कि पिछले साल पीडीएस का परिवहन ठेका निरस्त होने के बाद इमरजेंसी की आड़ में दो अपात्र लोगों को परिवहन का कार्य सौंप दिया गया था। कटघोरा में राहुल डिक्सेना और कोरबा में शैलेन्द्र शर्मा तभी से राशन का परिवहन कर रहे हैं। इन दोनों ठेकेदारों के पास ना तो परिवहन की शर्त के अनुसार पर्याप्त संख्या में वाहन थे और ना ही ये अहर्ता रखते थे। राहुल डिक्सेना तो राइस मिल संचालक भी है, जिसे पीडीएस परिवहन की शर्तों के अनुसार कार्य का आबंटन ही नहीं किया जा सकता। फिर नियमों को ताक पर रखकर कार्य क्यों जराय जा रहा है? इस प्रश्न के जवाब में बताया जाता है कि खाद्य विभाग का एक अधिकारी इन दिनों परिवहन कर्ताओं का बेनामी पार्टनर है। राशन दुकानदारों और विभाग में यह बात चर्चा में है। पूरे शहर को इसकी जानकारी है, मग़र जिला प्रशासन को लगता है इसकी कोई जानकारी नहीं है?