सेना ने खरीदे 5 स्वदेशी QRSAM, जानें क्या है इसकी खासियत
नईदिल्ली 22 फरवरी। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के लिए डीआरडीओ भारतीय सेना के लिए नए-नए हथियारों और मिसाइलों पर काम कर रहा है। ऐसे में रक्षा मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद भारतीय सेना ने 5 स्वदेशी Quick Reaction Surface to Air Missile Weapon Systems (QRSAM ) खरीदने का ऑर्डर दे दिया है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) 2024 तक भारतीय सेना को सभी पांचों हथियार प्रणालियों की आपूर्ति कर देगी। आपको बता दें कि एक QRSAM हथियार प्रणाली में एक Regiment Command Post Vehicle (RCPV) शामिल किया गया है, जो सिस्टम को पूरी तरह से नियंत्रित करेगा।
*जानिए RCPV किस तरह से करता है काम?*
BEL के अनुसार एक RCPV तीन बैटरी इकाइयों से जुड़ा है। एक बैटरी यूनिट में एक battery command post vehicle और एक battery surveillance radar vehicle होता है। इसके अलावा एक बैटरी इकाई चार लड़ाकू समूहों (CG) से जुड़ी हुई है। एक CG में एक multifunctional radar unit होती है, जो एक साथ 10 लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। एक Multi Launch Rocket Vehicle छह QRSAM रॉकेट से लैस होता है। एक QRSAM हथियार प्रणाली में 72 QRSAM रॉकेट होते हैं। जबकि इसमें सिस्टम से रॉकेट ले जाने के लिए लॉजिस्टिक व्हीकल भी होता है।
*दुनिया में सबसे उन्नत हथियार प्रणालियों में से एक*
DRDO और भारतीय सेना ने सभी मौसम में rotatable truck-based launch platform पर लगे कनस्तर से स्वदेशी रूप से विकसित हथियार प्रणाली के छह राउंड उड़ान परीक्षण किये हैं। DRDO ने 3 से 7 जनवरी तक नागपुर में 108 वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में भी इस प्रणाली का एक मॉडल प्रदर्शित किया था। यह दुनिया में सबसे उन्नत QRSAM हथियार प्रणालियों में से एक है।
*किसी भी मौसम में किया जा सकता है प्रयोग*
सेना और वायुसेना ने यूजर ट्रायल के दौरान इस हथियार प्रणाली का दिन और रात में भी परीक्षण करके मूल्यांकन किया है। मिसाइल प्रणाली में पूरी तरह से स्वचालित कमांड और नियंत्रण प्रणाली, सक्रिय सरणी बैटरी निगरानी राडार, सक्रिय सरणी बैटरी multi-function radar और लॉन्चर शामिल हैं। दोनों राडार में 360-डिग्री कवरेज के साथ search-on-move और track-on-move क्षमता है। इसे सभी मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है और इसकी 30 किलोमीटर की रेंज है।
*BEL और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के सहयोग से किया गया विकसित*
इस मिसाइल को विकसित करने के लिए DRDO की परियोजना को जुलाई, 2014 में 476.43 करोड़ रुपये के बजट के साथ मंजूरी दी गई थी। मिसाइल प्रणाली को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के सहयोग से विकसित किया गया है। DRDO के अनुसार रक्षा से संबंधित सार्वजनिक उपक्रम BEL, BDL और private industry L&T के माध्यम से इस हथियार प्रणाली के तत्वों की आपूर्ति हुई है। संपूर्ण हथियार प्रणाली अत्यधिक मोबाइल प्लेटफार्मों पर कॉन्फिगर की गई है, जो वायु रक्षा प्रदान करने में सक्षम है।
*QRSAM की क्या है खासियत*
क्यूआरएसएएम हथियार प्रणाली की खास बात यह है कि यह अपने टारगेट की खोज शॉर्ट हॉल्ट पर आग के साथ चलते-फिरते कर सकती है। यह पहले किए गए गतिशीलता परीक्षणों के दौरान भी साबित हुआ है। इसका फुल फॉर्म क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल वेपन सिस्टम (Quick Reaction Surface to Air Missile Weapon Systems) है। इसके अन्तर्गत स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) सीकर, मोबाइल लॉन्चर, स्वचालित कमांड और नियंत्रण प्रणाली, निगरानी और मल्टी रोल रडार के साथ मिसाइल शामिल हैं।
बता दें कि सितंबर 2022 में सतह से हवा में मार करने वाली क्विक रिएक्शन मिसाइल प्रणाली (QRSAM) के तहत भारतीय सेना ने ओडिशा तट से दूर एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) चांदीपुर से सरलतापूर्वक छः मिसाइल टेस्ट किए।