कनकेश्वरधाम कनकी में महाशिवरात्रि महामेला का आयोजन 18 फरवरी से
कोरबा 16 फरवरी। जिला मुख्यालय कोरबा से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम कनकी छत्तीसगढ़ में कनकेश्वरधाम के नाम से प्रसिद्ध है। क्योंकि यहां भगवान शिव का एक पुराना मंदिर है।
जहां सावन एवं महाशिवरात्रि में लाखों श्रद्धालु इस मंदिर में कनकेश्वर महादेव के दर्शन एंव पूजन के लिए आते हैं। महाशिवरात्रि पर यहां विशाल मेला का आयोजन किया जाएगा। युवा संगठन कनकेश्वर सेवा समिति के सदस्यों ने बताया कि कनकेश्वर महादेव मंदिर परिसर में 18 फरवरी से 24 फरवरी तक भव्य मेला लगेगा। जहां आसपास क्षेत्र सहित दूर.दूर से लोग आएंगे और कनकेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना कर मेले का आनंद लेंगे। कनकेश्वर महादेव मंदिर को लगभग 13वीं शताब्दी का कहा जाता है लेकिन पुरातात्विक विभाग ने इसकी पुष्टि नहीं की है। फिर भी मंदिर की दीवारों और चौखटों पर पुरातात्विक मंदिरों तुमान, पाली जैसे सुंदर उत्कीर्णन और आकृति देखने को मिलती है।
मंदिर को छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग द्वारा एक संरक्षित मंदिर का दर्जा प्राप्त है। मंदिर के उत्पत्ति का इतिहास यह है कि एक गाय प्रतिदिन एक स्थान पर स्थित शिवलिंग पर दूध चढ़ाने जाती थी। एक दिन ग्वाले ने उसे देख लिया और जिस जगह दूध गिरा रही थी वहां डंडे से प्रहार किया। डंडे के प्रहार से वहां टूटने की आवाज आई और उस स्थान पर कनकी या चांवल का दाना टूटा हुआ था। जब उस जगह की साफ.सफाई की गई तो वहां से एक शिवलिंग मिला। जिसके कारण यहां एक मंदिर बनवाया गया और कनकी या चांवल के दाने के आस-पास होने के कारण इसे कनकेश्वर महादेव कहा गया। और तब से आज तक यहां महाशिवरात्रि पर्व पर भव्य मेला लगता है जहाँ आसपास एवं दूसरे राज्यों से लोग लाखों की संख्या में स्वयम्भू महादेव का दर्शन करने आते हैं।
लोगो की सुरक्षा एवं देखभाल के लिए युवा संगठन कनकेश्वर समिति का विशेष योगदान रहता है। महाशिवरात्रि मेले में दुकान, झूला, सर्कस आदि लगना शूरू हो गया है। सभी व्यापारी अपना स्थान सुरक्षित करा रहे हैं। मंदिर के पुजारी पुरूषोत्तम प्रसाद ने बताया कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिवजी की पूजा उपासना आदि करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती है। मंदिर में इस दिन विशेष पूजा आराधना किया जाता है।