199वीं जयंती पर याद किया गया महर्षि दयानंद सरस्वती को
कोरबा 15 फरवरी। जाने.माने समाज सुधारक और क्रांतिकारी महर्षि दयानंद सरस्वती को कृतज्ञ समाज ने उनकी 199वीं जयंती पर आज याद किया। उनकी स्मृति में कार्यक्रम किये गए।
इस दौरान जानने की कोशिश की गई कि अपने कालखंड में उनकी भूमिका क्या थी और आज वे किस तरह से लोगों के लिए प्रासांगिक हैं। 14 फरवरी 1824 को तत्कालीन मोरबी रियासत के टाकरा काठियावाड़ जिले में दयानंद सरस्वती का जन्म हुआ था। औपचारिक शिक्षा के बाद उन्होंने विभिन्न ग्रंथों का अध्ययन किया। वह दौर परतंत्रता का था। कई प्रकार की चुनौतियां थीं और अंग्रेजों की चाल से समाज में विघटनकारी शक्तियां सक्रियता दिखा रही थी। ऐसे समय में दयानंद सरस्वती ने छुआछूत, जाति भेद व कई प्रकार की बुराईयों को दूर करने के लिए अभियान चलाया।
स्वाधीनता आंदोलन में उन्होंने पूरे मन से न केवल हिस्सा लिया बल्कि युवाओं को इस तरफ मोड़ा और उनकी ऊर्जा का उपयोग किया। धार्मिक क्रांति को लेकर भी उन्होंने बड़े स्तर पर अपना योगदान सुनिश्चित किया। आर्य समाज की शिक्षाओं के माध्यम से तार्किकता का उपयोग करते हुए लोगों को चेतनाशील बनाने में उन्होंने अपना योगदान दिया।