समाज सेवी प्रदीप दुग्गड़ की दादी माता मनसुख देवी ने ली संल्लेखना समाधि
कोरबा 30 जनवरी। बुधवारी बाजार निवासी समाज सेवी प्रदीप दुग्गड़ की दादी व 98 वर्षीय माता मनसुख देवी ने संल्लेखना समाधि ले ली है। कोरबा मुक्ति धाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया। जिसमें समाज के लोग खासी संख्या में उपस्थित थे। सल्लेखना जैन धर्म में ऐसी प्रथा है जिसके अनुसार जब मनुष्य को लगता है कि उसकी मृत्यु निकट है तब वह अन्न जल का परित्याग कर सल्लेखना समाधि ले लेता हैं।
समाज सेवी पारस जैन ने बताया कि सल्लेखना मुक्ति मार्ग को दर्शाता है। जैन धर्म में ऐसी मान्यता है कि जब मनुष्य को यह अनुभूति होती है कि उसने संपूर्ण जीवन जी लिया है तब वह इस संसार से मोह माया छोड़ कर मुक्ति के पद पर निकल जाता है। इसी तारतम्य में जैन समुदाय के वरिष्ठ सदस्य बुधवारी कोरबा निवासी स्वर्गीय कन्हैयालाल दुग्गड़ की माताजी मनसुखीदेवी दुग्गड़ ने उपवास व्रत ले लिया था। स्वयं से उन्होने अपनी आत्मकल्याण के लिए संथारा पचक ले लिया था। विगत 10 दिन से अन्न-जल त्याग कर परिवार के साथ धर्म आराधना में लग गई थीं।
शनिवार की शाम 7.17 बजे उनका संथारा सीज गया। सभी समाज के विशिष्ट वर्ग के लोग समाज के कार्यकारिणी सदस्य एवं परिवार के सभी भाई बहन रिश्तेदार उनके समीप थे। रविवार को परिवार के परंपरा के अनुसार सुबह 10 बजे बैकुंठी यात्रा मृत्यु महोत्सव यात्रा निकाली गई। इस असवसर पर कोरबा शहर के सभी समाज के लोग उपस्थित रहे।