मिलरों से अनुबंध नहीं, फिर 72 घंटे में कैसे होगा धान का उठाव
कोरबा 07 नवम्बर। धान खरीदी शुरू हुए 6 दिन गुजर गए पर अभी तक धान का उठाव करने के लिए मिलरों से अनुबंध ही नहीं हुआ है। खरीदी करने के बाद 72 घंटे के भीतर ही उठाव करने का नियम है। यह तो शुक्र है कि धान खरीदी में तेजी नहीं आई है। पिछले साल उठाव में देरी से 40 किलो की बोरी में 300 से 400 ग्राम वजन घटने से कर्मचारियों को ही भरपाई करनी पड़ी थी। इसको लेकर विवाद भी हुआ था।
जिले में 41 सहकारी समितियों के 55 धान खरीदी केंद्र हैं। इस बार रिकॉर्ड 46295 किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीयन कराया है। पंजीकृत रकबा भी बढ़कर 61582 हेक्टेयर हो गया है। इस साल 19 लाख क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य रखा हैए लेकिन सभी पंजीकृत किसान धान बेचेंगे तो मात्रा 21.90 लाख क्विंटल तक पहुंचेगा। उसके हिसाब से ही धान का उठाव भी करना पड़ेगा। समय पर धान का उठाव नहीं होने का खामियाजा किसानों और समितियों को ही उठाना पड़ता है। कई बार धान जाम होने से खरीदी बंद करनी पड़ती है। यही नहीं अधिक दिनों तक धान को रखने से सूख जाता है। पिछले 3 साल से जीरो शॉर्टेज पर ही धान की खरीदी हो रही है। इसके लिए कर्मचारियों को नुकसान की भरपाई करनी पड़ती है। कर्मचारियों का कहना है कि नौकरी बचाने के लिए ही भरपाई करते हैं। लेकिन प्रशासन कमियों की ओर ध्यान नहीं देता है। किसानों की संख्या और रकबा के आधार पर प्रशासन को पहले से तैयारी करनी चाहिए। अभी टोकन के लिए ऐप आने के बाद किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।