नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल ने छठ पूजा में सम्मिलित होकर उदयीमान सूर्य को दिया अर्घ्य
कोरबा। प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल ने अस्तांचल सूर्य एवम उदयीमान सूर्य को अर्द्ध देने सरोवरों में पवित्र छठ पूजा के पावन अवसर पर ढेंगुरनला छठ घाट, श्रीराम मंदिर छठ घाट बालको में माताओ बहनों, श्रद्धालुओं का आशीर्वाद प्राप्त कर पूजा अर्चना की।
नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल ने कहा कि पावन छठ पूजा का चार दिवसीय त्योहार नहाय खाय और खरना के साथ प्रारंभ होता है, इस पावन पर्व में अस्तांचल सूर्य एवम उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है भक्त बहुत धूमधाम से इस त्योहार को मनाते हैं. छठ पूजा, जिसे सूर्य षष्ठी, छठ, छठ पर्व, दल पूजा, प्रतिहार और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है, भगवान सूर्य को समर्पित है. वेदों में सूर्य देव ऊर्जा और जीवन शक्ति के देवता माने गए है. महिलाएं छठ के दौरान कठोर उपवास रखती हैं और अपने परिवार और बच्चों की भलाई, समृद्धि और प्रगति के लिए भगवान सूर्य और छठी मैया से प्रार्थना करती हैं, वे भगवान सूर्य और छठी मैया को अर्घ्य भी देते हैं।
भाजपा नेता श्री अग्रवाल ने कहा कि छठ पूजा दिवाली के छह दिनों के बाद या कार्तिक महीने के छठे दिन मनाई जाती है, छठ पूजा की उत्पत्ति से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं,और कुछ का उल्लेख ऋग्वेद ग्रंथों में भी मिलते हैं. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्रौपदी और पांडव अपने राज्य को पुनः प्राप्त करने और अपने मुद्दों को हल करने के लिए छठ पूजा का व्रत रखा था, एक अन्य मान्यता के अनुसार कर्ण जो भगवान सूर्य और कुंती के पुत्र थे, वे भी छठ पूजा करते थे, कहा जाता है कि उन्होंने महाभारत काल में जल में घंटों खड़े होकर सूर्य देव की उपासना किया करते थे, छठ पूजा के दौरान भगवान सूर्य और छठी मैया से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए माताएं बहनें 36 घंटे तक उपवास रखती हैं, छठ के पहले दिन को नहाय खाय कहा जाता है – भक्त गंगा नदी जैसे पवित्र जल में स्नान करते हैं, छठ का पालन करने वाली महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भक्त भगवान सूर्य के लिए प्रसाद तैयार करते हैं. दूसरे और तीसरे दिन को खरना और छठ पूजा कहा जाता है, महिलाएं इन दिनों एक कठिन निर्जला व्रत रखती हैं. इसके साथ ही चौथे दिन (उषा अर्घ्य) माताएं बहनें पानी में खड़े होकर उगते सूरज को अर्घ्य देती हैं और फिर अपना 36 घंटे का उपवास तोड़ती हैं ।