कोरबा 11 जुलाई। ब्रह्म कमल नाम सुनकर ही मन में एक अलग ही सात्विक विचार का संचार हो जाता है। बीत रात्रि एसईसीएल ढेलवाडीह कॉलोनी में ब्रह्म कमल खिले हैं। स्थानीय लोग इस नजारे को देखने के लिए देर रात तक जागते रहे। बताया जाता है कि ब्रम्ह कमल जब पूर्ण रूप से खिलता है, उस समय वहां पर प्रार्थना किया जाए तो उसकी प्रार्थना अवश्य स्वीकार होती है और मनवांछित फल प्राप्त होता है।
ब्रह्म कमल एक विशेष पुष्प है, जो सभी जगहों में नहीं मिलता है। उत्तराखंड में इसे कौल पद्म नाम से जानते हैं। उत्तराखंड में ब्रह्म कमल की 24 प्रजातियां मिलती हैं। पूरे विश्व में इसकी 210 प्रजातियां पाई जाती हैं। ब्रह्म कमल के खिलने का समय जुलाई से सितंबर महीना होता है। उत्तराखंड की फूलों की घाटी में केदारनाथ में पिंडारी ग्लेशियर में यह पुष्प बहुतायत पाया जाता है। इस पुष्प का वर्णन वेदों में भी मिलता है। महाभारत के वन पर्व में इसे सौगंधिक पुष्प कहा गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस पुष्प को केदारनाथ स्थित भगवान शिव को अर्पित करने के बाद विशेष प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। ब्रह्म कमल के पौधों की ऊंचाई 70 से 80 सेंटीमीटर होती है। यह साल में केवल एक बार खिलता है।