एक्सिस बैंक ने एफडी धोखाधड़ी मामले में मंडी बोर्ड को पूरी राशि लौटाई
रायपुर 29 जून। छत्तीसगढ़ राज्य मंडी बोर्ड ने एफ डी फ्राड मामले में एक्सिस बैंक से धोखाधड़ी के दो दिन के भीतर ही अपनी जमा राशि की वापसी करवा लिया। मंडी बोर्ड के अधिकारियों ने एफडी में धोखाधड़ी की खबर लगते ही तुरत-फुरत कदम उठाकर सरकार को नुकसान होने से बचा लिया। एक्सिस बैंक के शीर्ष प्रबंधन ने अपनी साख बचाने के लिए फिलहाल अपने मुनाफे में से मंडी बोर्ड के खाते में राशि ट्रांसफर कर दिया है। अब पुलिस ठगों से कितनी राशि रिकवर करके बैंक को नुकसान से बचा सकती है, यह बाद में पता चलेगा।
आमतौर पर धोखाधड़ी की राशि पीड़ित लोगों के खाते में वापस आने महीनों लग जाते हैं, लेकिन मंडी बोर्ड के मामले में एक्सिस बैंक ने दो दिन के भीतर ही पूरी राशि लौटा दी। मंडी बोर्ड ने 11 मई को विपणन विकास निधि के नाम से एक्सिस बैंक में खाता खुलवाने का फैसला किया। इसके बाद एक्सिस बैंक की डुंडा में बोर्ड में 60 करोड़ जमा करवाए और फिर 20 मई को 10, 20 और 30 करोड़ के तीन अलग-अलग एफडी बनाने के लिए बैंक को कहा गया। 14 जून 2022 को किसी अज्ञात व्यक्ति ने एक्सिस बैंक की डुंडा शाखा का एफडी फर्जी होने और मंडी बोर्ड के कहने से राशि निकालने की सूचना फोन पर बोर्ड के एकाउंटेंट कैलाश शर्मा और एडिशनल एमडी एम एस सवन्नी को दी। किसी ने मेल भी भेजा। दोनों ने इसकी जानकारी एम डी भुवनेश यादव को दी। श्री यादव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कदम उठाए। एक्सिस बैंक की गुढ़ियारी शाखा से मंडी बोर्ड के खाते का स्टेटमेंट निकलवाया और एफडी की रसीद के साथ एक्सिस बैंक की डुंडा शाखा के मैनेजर को बुलवाया।
एफडी की रसीद और स्टेटमेंट के मिलान के बाद धोखाधड़ी का खुलासा हुआ। मंडी बोर्ड के खाते से 16 करोड़ 40 लाख 12 हजार 655 अन्य बैंकों में ट्रांसफर पाया गया। मंडी बोर्ड के खाते में केवल 13 करोड़ 59 लाख 87 हजार 345 जमा दिखा। मंडी बोर्ड के एमडी भुवनेश यादव ने एक्सिस बैंक के अफसरों को अपने दफ्तर में उसी दिन तलब कर वस्तुस्थिति बताई और बोर्ड का पैसा वापस करने के लिए बैंक पर दबाव बनाया। बैंक राशि वापस कर दिया। बैंक ने गड़बड़ी की राशि बोर्ड के खाते में ट्रांसफर करने के बाद आगे की कार्रवाई की। खाता ब्लाक करवाया गया। इतनी बड़ी राशि की धोखाधड़ी में बैंक के ही किसी व्यक्ति के शामिल हुए बिना संभव नहीं था। अपने स्तर पर जाँच के साथ मामला पुलिस को सौंपा गया। पुलिस ने पहले मामले की गोपनीय तरीके से जाँच की और वजह तक पहुँचने की कोशिश की। घटना का क्लू और मास्टर माइंड का पता चलते ही पुलिस ने इस घटना का खुलासा किया। मंडी बोर्ड के खाते से पैसा निकालने के लिए धोखेबाजों ने फर्जी चैक बुक इश्यू कराया। कूटरचित दस्तावेज तैयार कर चैक पर एमडी और एकाउंटेंट के फर्जी दस्तखत कर मंडी बोर्ड के खाते से फंड ट्रांसफर करते रहे। सबसे बड़ी बात यह हुई कि मंडी को इस धोखाधड़ी से कोई नुकसान नहीं हुआ। सरकार का पैसा सुरक्षित लौट आया। मंडी बोर्ड ने बैंक को पत्र लिखकर उसके कर्मचारियों के शामिल होने की जानकारी दी और अपने दोषी और जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई करने का आग्रह किया। बोर्ड के एमडी श्री यादव ने पैसा वापसी की कार्रवाई के साथ घटना और उठाए गए कदम की जानकारी तत्काल कृषि मंत्री रविंद्र चौबे और कृषि उत्पादन आयुक्त कमलप्रीत सिंह को दी।