नवयुवकों को दिया जा रहा नि:शुल्क तीरंदाजी का प्रशिक्षण
कोरबा 20 जून। जिले के युवकों में भी तीरंदाजी के गुर सीखने की ललक देखी जा रही। एसईसीएल सेंट्रल वर्कशाप स्टेडियम में इन दिनों धनुर विद्या की पाठशाला लग रही। यहां नवयुवकों को निश्शुल्क तीरंदाजी का प्रशिक्षण दिया जा रहा। यही नहीं प्रशिक्षण लेने के बाद खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करते हुए मेडल भी हासिल कर रहे। संसाधनों की कमी की वजह से खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी नहीं कर पा रहे। दरअसल तीरंदाजी के खेल में इस्तेमाल होने वाले उपकरण इतने महंगे हैं कि उनके बजट से कोसों दूर है।
कोल इंडिया के साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड एसईसीएल कार्यरत सेदराम यादव पिछले छह साल से कोल इंडिया में तीरंदाजी के चैंपियन हैं। सेंट्रल वर्कशाप में कार्यरत सेदराम का कहना है कि मुझे तीरंदाजी का शौक है और बचपन से ही इस खेल को खेलते आ रहा हूं। वर्तमान में अपने वर्ग में मैं कोल इंडिया चैंपियन हूं। अब नए खिलाडिय़ों को तैयार करने के लिए स्टेडियम में नि:शुल्क समर कैंप का आयोजन कर रहे हैं। इसमें मैं और मेरा बेटा दोनों ही प्रशिक्षण देते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी इच्छा है नए खिलाड़ी तैयार हों और खिलाड़ी जिले व राज्य के साथ ही देश का नाम रोशन करें। यही वजह है कि हम पिता पुत्र काफी लंबे अरसे से यह प्रशिक्षण दे रहे हैं। सेदराम ने कहा कि पिछले 10 साल से नि:शुल्क प्रशिक्षण शिविर भी लगा रहे हैं। इस साल लगभग 70 से 80 बच्चों को आर्चरी का नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया है। इस प्रशिक्षण कैंप से कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकले हैं। जिन्होंने स्कूल स्तर के साथ ही ओपन टूर्नामेंट में भी गोल्ड मेडल जीता है।
स्कूल व राष्ट्रीय स्तर पर छह गोल्ड समेत कुल 16 मेडल जीतने सेदराम यादव के पुत्र भरत यादव का कहना है कि मैने राष्ट्रीय स्तर पर कई राज्यों में बेहतर परफार्मेंस दिया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हम प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाते हैं। आर्चरी के उपकरण काफी महंगे होते हैं। इसके लिए कम से कम दो लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं। दो दर्जन बाण के दाम ही 40 हजार हैं। इतो बाण सामान्य तौर पर साल भर में खर्च हो जाते हैं।