डिजी लाकर पर नि:शुल्क मिलेगी स्नातक, स्नातकोत्तर की उपाधि

कोरबा 14 जून। कालेज की शिक्षा पूरा करने वाले विद्यार्थियों को स्रातक या स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त करने अब अपने उच्च शिक्षण संस्थाओं या विश्वविद्यालय का चक्कर काटने की जरूरत नहीं होगी। उन्हें उनकी उपाधि सीधे डिजी लाकर पर जारी की जाएगी। अब तक की व्यवस्था में विश्वविद्यालय से यह प्रमाण पत्र डाक के माध्यम से भेजा जाता था। अब वेबसाइट पर कुछ आनलाइन प्रक्रिया पूर्ण कर यह दस्तावेज सेव कर सकेंगे। इसके लिए किसी प्रकार का शुल्क भी नहीं लिया जाएगा, जो पूर्व में 300 रुपये से 500 रुपये तक निर्धारित था।   

पूर्व में डाकिया स्रातक अथवा स्नातकोत्तर उत्तीर्ण विद्यार्थियों की डिग्री लेकर घर पहुंचते थे। कालेजों में स्रातक व स्रातकोत्तर की शिक्षा पूरी करने के कुछ समय बाद विश्वविद्यालय की ओर से उपाधि प्रमाण पत्र जारी किया जाता था। इसके लिए प्रत्येक बैच में विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह की परंपरा है, जिनमें सबसे पहले टापर छात्र-छात्राओं को आमंत्रित कर यह प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। इसके बाद शेष की डिग्रियां या उपाधि प्रमाण पत्रों को कालेज भेज दिया जाता था, जहां से जरूरत पडऩे पर छात्र-छात्राएं स्वयं पहुंचकर उन्हें प्राप्त किया करते थे। इस प्रक्रिया में बड़ी संख्या में डिग्री की छपाई व प्रिंटिंग कर तैयार प्रमाण पत्र भेजे जाते पर लंबे समय तक उनके कालेज में ही पड़े रह जाने से उपयोगिता साबित नहीं हो रही थी। इसे देखते हुए व्यवस्था में बदलाव किया गया और अब उन्हीं छात्र-छात्राओं के लिए डिग्री प्रिंट की जाती है, जो उसे प्राप्त करने के लिए आवेदन करते हैं। इस प्रक्रिया में छात्र-छात्राओं को आनलाइन विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जाकर फार्म भरने की प्रक्रिया पूर्ण करनी होती है। अब इस प्रक्रिया को थोड़ा और अपग्रेड करते हुए सीधे छात्र-छात्राओं के डिजी लाकर के माध्यम से जारी करने की व्यवस्था दी जा रही है। इसके लिए भी वेबसाइट के माध्यम से आनलाइन कुछ प्रक्रिया पूर्ण करनी होगी।     

विद्यार्थियों को केवल विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर दिए गए गाइडलाइन का अनुसरण करते हुए आवेदन करना होगा। इस आवेदन के आधार पर परीक्षा विभाग अपने रिकार्ड और अभिलेखों की जांच-परीक्षण करेगा। आवेदन में उपलब्ध कराई गई जानकारियों के अनुसार अभिलेख सही पाए जाने पर 15 दिन के भीतर छात्र-छात्राओं के डिजी लाकर पर डिग्री भेज दिए जाएंगे। विश्वविद्यालय को कागज व प्रिंटिंग पर होने वाले खर्च के साथ विद्यार्थी के लिए समय व मशक्क की बचत की जा सकेगी। उन्हें कालेज के चक्करों से राहत मिलेगी।

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