किक बाक्सिंग खेल में रूचि रखने वाले बच्चों को दिया जा रहा निःशुल्क प्रशिक्षण
कोरबा 29 मई। किक बाक्सिंग में कोरबा के खिलाड़ियों का हमेशा दबदबा रहा है। छत्तीसगढ़ में एक मात्र किक बाक्सिंग एकाडमी भी कोरबा शहर में ही संचालित है। इस खेल में रूचि रखने वाले बच्चों को निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा। ओलंपिक में मान्यता मिलने के बाद किक बाक्सिंग के खिलाड़ी उत्साहित नजर आ रहे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ी यहां तैयार हो रहे हैं।
अकेले कोरबा जिले में किक बाक्सिंग के 13 अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं, जो अलग-अलग अवसर पर अंतरराष्ट्रीय मेडल प्राप्त कर चुके हैं। एकेडमी के संचालक तारकेश मिश्रा छत्तीसगढ़ किक बाक्सिंग एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। इसका लाभ जिले के खिलाड़ियों को मिल रहा है। जिले में किक बाक्सिंग के ऐसे कई खिलाड़ी हैं, जिन्होंने स्कूल गेम्स के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल हासिल किया है। कड़ी मेहनत कर रहे राष्ट्रीय गोल्ड मेडलिस्ट प्रभात साहू का कहना है कि इस खेल में मेरी बहुत रुचि है और मैंने राष्ट्रीय स्तर व स्कूल गेम्स को मिलाकर कई मेडल जीते हैं। पांच बार गोल्ड मेडल हासिल किया है। लेकिन दुख तब होता है जब उतना सपोर्ट नहीं मिलता। जितना क्रिकेट के खेल को राज्य व केंद्र सरकार जितना बढ़ावा दे रहीए उसके मुकाबले अन्य खेलों को उतना महत्व नहीं दिया जा रहा। किक बाक्सिंग के लिए यदि खिलाड़ियों को यदि प्रोत्साहित किया जाएगा, तो निश्चत ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर परिणाम सामने आएंगे। शहर के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी मोहम्मद जुनेद आलम का कहना है कि मैंने नेपाल जाकर किक बाक्सिंग की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और गोल्ड मेडल हासिल किया। वहां पांच. छह देशों के खिलाड़ी आए थे। यहां भी कोरबा के खिलाड़ियों का दबदबा था। किक बाक्सिंग के खेल में थोड़ा विकास हो रहा है। युवा इसमें रुचि ले रहे हैं, एकेडमी में खुद प्रैक्टिस करने के साथ ही बच्चों को भी तैयार कर रहे हैं।
मार्शल आर्ट का ही एक फार्म है किक बाक्सिंग। इसमें पैर व मुक्के दोनों तरह से फाइटिंग की जाती है और दोनों तरह से अंक खिलाड़ियों को दिए जाते हैं। इसलिए इसे सामान्य बाक्सिंग से थोड़ा खतरनाक भी माना जाता है। यह स्टैंड अप काम्बेट स्पोर्ट्स का ही एक समूह है, जो किकिंग और पंचिंग पर आधारित बाक्सिंग का एक रूप है। इसका मुकाबला सामान्य बाक्सिंग की तरह बाक्सिंग रिंग में ही होता है। इसमें मुक्केबाज के दस्ताने, माउथगार्ड, शार्ट्स व नंगे पैर किक का उपयोग किया जाता है। इस खेल के भी कई कैटेगरी होती है। वजन के अनुसार अलग-अलग श्रेणियों और उम्र के खिलाड़ी खेल में हिस्सा लेते हैं। कोरबा के किक बाक्सिंग एकेडमी में सुबह सात से नौ के बैच में 70 से 80 बच्चों और युवाओं को किक बाक्सिंग की निःशुल्क ट्रेनिंग दी जा रही है। संस्थापक तारकेश मिश्रा का कहना है कि जबसे किक बाक्सिंग को ओलंपिक ने मान्यता दी है, खिलाड़ियों में उत्साह बढ़ गया है। अभी हमारे पास संसाधनों की कमी है और इन्हीं सीमित संसाधनों में भी खिलाड़ियों को तैयार कर रहे हैं।