40 हजार पदों पर शिक्षकों को पदोन्नति देने में अफसरों की मनमानी : टीचर्स एसोसिएशन
कोरबा 28 अप्रैल। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष बसंत चतुर्वेदी, जिलाध्यक्ष मनोज चौबे ने कहा है कि शिक्षा विभाग की सबसे बड़ी पदोन्नति हेतु विभाग ने ठीक ठीक कोई भी तैयारी नही की, 46 हजार पदोन्नति हेतु संचालक द्वारा आज पर्यंत किसी भी प्रकार का पदोन्नति हेतु नियम निर्देश नही किया गया, जिसके कारण जेडी व डीईओ ने अलग अलग नियम की व्याख्या की व मनमर्जी की वरिष्ठता सूची बनाई जिसके चलते पदोन्नति की प्रक्रिया में रुकावट डालते हुए मुख्यमंत्री जी की मंशा पर पानी फेर दिया।
संजय शर्मा और मनोज चौबे ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने गत 22 नवम्बर 2021 को वन टाईम रिलेक्सेशन की घोषणा कर 5 वर्ष की अवधि को घटाकर 3 वर्ष करते हुए सहायक शिक्षकों में पदोन्नति की आशा का संचार किया था लेकिन आज लगभग 6 माह बीत जाने पर भी अधिकारियों की सुस्ती ने सहायक शिक्षकों की पदोन्नति की खुशी पर ग्रहण लगा दिया है। मुख्यमंत्री द्वारा केबिनेट में लिए गए निर्णय का समुचित क्रियान्वयन विभाग द्वारा नही कराया जा सका है। प्रारम्भ से ही नियम में एकरूपता व समानता हेतु निर्देश देने की मांग प्रमुख सचिव, सचिव व डीपीआई से किये थे, किन्तु समय पर निर्देश जारी नही करने से संभाग व जिले में विभिन्नता परिलक्षित हुई, जिसके चलते बस्तर और दुर्ग संभाग ने अपने अलग नियम बनाकर पदोन्नति प्रक्रिया आगे बढ़ाई और आंशिक पदोन्नति भी की, जबकि रायपुर, बिलासपुर और सरगुजा संभाग में प्रक्रिया कछुआ चाल से जारी है, प्रदेश में व्याख्याता, शिक्षक, प्रधान पाठक प्राथमिक व पूर्व मा शा में 40 हजार पदों पर पदोन्नति अवरुद्ध है।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से कहा है कि मुख्यमंत्री ने सहृदयता पूर्वक पदोन्नति की अवधि को वन टाइम रिलेक्सेशन देते हुए 5 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष किया है, इसका लाभ शिक्षक संवर्ग को मिले यह जिम्मेदारी शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की है, उच्च न्यायालय में लगे रोक को समय सीमा में समुचित जवाब देकर शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी हटवाएं, इस हेतु एसोसिएशन ने 2 बार विभाग को पत्र भी लिखा है। प्रमोद सिंह राजपूत, कन्हैया देवांगन,नरेंद्र चंद्रा,प्रदीप जायसवाल,बुद्धेश्वर सोनवानी, श्रीमती माया छत्री,श्रीमती मधुलिका दुबे, श्रीमती प्रियंका सिंह,श्रीमती अर्चना जाधव,यशोधरा पाल, श्रीमती अरुधंति मिश्रा,मनोज लोहानी,रामनारायण रविंद्र,राधे मोहन तिवारी,अशोक भारद्वाज, अनिल भट्टपहरे,आनंद पांडेय,उपेंद्र राठौर,राम शेखर पांडेय, शिव साहू, बसंत मिरी, कन्हैया साहू, विजय बहादुर,अरुण कुर्रे आदि ने शीघ्र पदोन्नति करने की माँग की है।
शिक्षा विभाग के कामकाज का तरीका बेहद अव्यवहारिक है जिसके कारण हजारो शिक्षको की पदोन्नति रुक गई है, डीपीआई को व्याख्याता पद पर पहले पदोन्नति करते हुए निचले स्तर पर रिक्त पद बढ़ाना चाहिए। न्यायालय द्वारा जारी स्टे के सम्बंध में जवाब देने की समयसीमा में शासन के अधिकारियों द्वारा जवाब न देकर देर से जवाब दिया जाता है, जिसके कारण याचिकाकर्ता को जवाब देने समय मिलते रहता है, साथ ही पदोन्नति में रोक को आगे बढ़ाया जा रहा है जिससे शिक्षक संवर्ग में विभाग के खिलाफ भारी रोष व्याप्त है। अलग-अलग नियम के चलते कुछ असंतुष्ट शिक्षकों ने कोर्ट में केस दाखिल कर पदोन्नति रोकने की अपील की थी जिस पर माननीय न्यायालय ने पदोन्नति प्रक्रिया पर स्टे लगाकर शासन से जवाब मांगा था, समय पर शासन के अधिकारियों द्वारा कोर्ट में जवाब नहीं देने के चलते पदोन्नति बाधित होता रहा, अब पुनः तीसरी बार माननीय न्यायालय ने पदोन्नति पर स्टे को आगे बढाते हुए सुनवाई की तारीख 10 मई तय की है।