दादी जानकी जी की पुण्य स्मृति दिवस, विष्व आध्यात्मिक जागृति दिवस
कोरबा 29 मार्च। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईष्वरीय विष्व विद्यालय, संस्था की तृतीय प्रषासिका दादी जानकी जी की द्वितीय पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि का कार्यक्रम विष्व सद्भावना भवन कोरबा में आयोजित किया गया।
ब्रह्माकुमारी बिन्दु बहन ने कहा कि दादी जी एक गृहस्थ परिवार से होकर भी तपस्या के बल एक आध्यात्मिक जाग्रति का उदाहरण बनी। 104 वर्श की आयु में भी देष विदेष की सेवा करती रहीं। कम षिक्षा का स्तर होते हुए भी आप एक समर्पित जीवन का उदाहरण थीं। वैज्ञानिकों ने दादी जी के मानसिक तरंगों का परीक्षण किया और पाया कि डेल्टा तरगें हर स्थिति में हैं। उन्होंने दादी जी को विश्व में मोस्ट स्टेबल माईण्ड की महिला के खिताब से घोशित किया। ब्रह्माकुमारी रूकमणी बहन ने कहा कि दादी जी का जीवन सदा मानवता की सेवा में तत्पर रहा। आपने ज्ञान योग की षक्ति से पष्चिमी देषों के लोगों को भारतीय संस्कृति और मूल्यों को अपने जीवन में अपनाने के लिये प्रेरित किया। उनके रहन-सहन और भारतीय संस्कृति की छाप 140 देषों तक एक माडल के रूप में पंहुची। दादी जी ने विदेष सेवा की चुनौतियों को सहर्श स्वीकार किया। आप अंग्रजी भाशा का ज्ञान तो नहीं जानती थीं, लेकिन नयनों की भाशा और प्रेम की भाशा अवश्य जानती थीं। दादी जी का सदा ही यज्ञ से बहुत प्यार था, वे छोटी से छोटी वस्तुओं का सद्उपयोग करती थीं। बहन वीणा भावनानी ने कहा कि दादी जी से मिलने पर मुझे बहुत ही आनंद की अनुभूति होती थी। मैं प्रातः उनके साथ चलकर उनके प्रकम्पनों का लाभ लेती थी। बहन कंचन ने कहा दादी जी से मिलने पर मैंने पाया कि दादी जी हर एक की भावनाओं को सम्मान देती थीं। भ्राता कौषल कुलमित्र वरिष्ठ शिक्षक ने कहा कि ईश्वर की समीपता के लिये पवित्र जीवन व संत हृदय चाहिए। यह विश्ेाषता मैनें दादी जी में पाई। मेरी ईच्छा थी कि मैं जी सम्मुख मिलूं। यह ईच्छा इश्ष्वर ने मेरी पूरी की।