जल क्रीड़ा व प्यास बुझाने तालाब पहुंच रहे हाथी
कोरबा 27 मार्च। जिले के वन कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है। कटघोरा के जंगलों में बड़ी संख्या में हाथी का दल विचरण कर रहा है। ऐसे में जंगली जानवरों के निगरानी ढंग से नहीं हो पा रही है, जिससे ग्रामीणों को खतरा बना हुआ है। अतः उन्हें जागरूक करने के लिए वन विभाग के अधिकारियों द्वारा मदारी आर्टस नमनाकला के कलाजत्था का सहयोग लिया जा रहा है।
जिले के सर्वाधिक हाथी प्रभावित केंदई रेंज के गांवों में कलाजत्था के कलाकार पहुंच रहे है और नुक्कड़ नाटक के जरिये ग्रामीणों को क्षेत्र के जंगलों में हाथियों की मौजूदगी की जानकारी देते हुए इससे बचने के उपाये बताये जा रहे है। कलाकारों द्वारा ग्रामीणों से यह भी कहा जा रहा है कि वन्य प्राणियों की रक्षा करें। उनसे दूरी बनाकर रखे। वनों की कटाई न करें एवं वनों में आग न लगाये। किसी भी वन्य प्राणी के आने पर तत्काल वन विभाग को सूचित करें। विभाग उनके साथ है। वन्य प्राणियों व पक्षियों का शिकार न करें। हाथी एवं किसी भी वन्य प्राणियों के द्वारा नुकसान किये जाने पर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा मुआवजा का प्रावधान है। इस बीच केंदई रेंज के कोरबी सर्किल में हाथियों का दल पिछले कई दिनोंं से घुम रहा है। इस दल में लगभग तीन दर्जन हाथियों के शामिल रहने की जानकारी मिली है जो सर्किल के बनखेतापारा के आसपास बने हुए है। गर्मी बढऩे के बाद यह दल रोज सायं 4 बजे जंगल से निकलकर बनखेतापारा में बने तालाब में पहुंचता है और पानी पीने के साथ 2-3 घंटे तक जलक्रिड़ा करने के बाद सायं होते ही जंगल चला जाता है। इस दौरान ग्रामीणों को काफी खतरा होने का अंदेशा रहता है। तालाब में हाथियों की मौजूदगी के दौरान वन विभाग काफी सतर्कर्ता बरतता है। यह सिलसिला यहां एक सप्ताह से जारी है। वन विभाग द्वारा हाथियों के लिए पेयजल उपलब्ध कराने के वास्ते इस तालाब को बनाया गया है। हाथियों के तालाब में पहुंचने व जलक्रिड़ा करने से वन विभाग का यह प्रयास सफल हो रहा है। और हाथी पानी की तलाश में बस्ती घुसने के बजाये तालाब पहुंचकर प्यास बुझाने के बाद वापस चला जाता है।