मिर्ची @ गेंदलाल शुक्ल
जो कमाएगा, वो लगाएगा
अपने आस पास इन दिनों एक श्लोगन सरगर्म चर्चा में है। वह है- जो कमाएगा, वो लगाएगा। अब लगाने के लिए चुन- चुन कर ड्यूटी लगाई जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि बीते दिनों में जो कमाया गया है उसमें से कुछ हिस्सा माईबाप की सेवा में लगाया जाएगा। लेकिन ऐसा कैसे संभव है? जो संभव हुआ, वो ये है कि मुरझाया चेहरा खिल उठा। ठसक फिर शुरू हो गई। इसके साथ ही लगाने के नाम पर नए सिरे से कमाना फिर शुरू हो गया। भगवान करे ऐसी किस्मत सबको मिले।
खूब कमाया पर……
जब कमाने की बात निकली है तो इसका एक एंगल और सामने आया है। भूत काल में कुछ मरदुदों ने खूब कमाया। इतना कमाया कि उनके खुद के पास कोई हिसाब नहीं है। यानि, बेहिसाब। अब माईबाप को जरूरत आन पड़ी है। माईबाप कड़की में है। काम धाम को आगे बढ़ाने के लिए पूंजी की जरूरत है। लेकिन वाह रे सपूतों? कोई भी अपनी अन्टी ढीली करता नजर नहीं आ रहा। माईबाप अब रह गए भगवान भरोसे। अब धंधा चमके तो चमके कैसे? आप भी जरा सोचिए।
ऐसे होगी शराब बंदी….!
छत्तीसगढ़ में शराब बंदी के नारे ने तख्ता पलट कर दिया। लेकिन अब कहा जा रहा है कि शराब बंदी नहीं की जा सकती। समाज सुधरेगा तो ही शराब बंदी होगी। अब समाज कब सुधरेगा? कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में कोरबा में एक प्रयोग सफल होता नजर आ रहा है। यहां एक बार चलता है। उसका नाम O N C है। ये निर्धारित समय पर कभी बंद नहीं होता। इसीलिए शहरी क्षेत्र के लड़के लड़कियां इसके दीवाने हैं। दीवानों की यह दीवानगी सिर चढ़ जाती है, तो उसे उतारने की यहां खास व्यवस्था है। रविवार को कथित कांग्रेसियों की भी दीवानगी उतारी गई। बार के बाउंसर बेल्ट और बेसबॉल स्टिक लेकर पिल पड़े। यहां दीवानगी उतारने का कार्यक्रम पहले भी कई बार आयोजित हो चुका है। जिनके लिए ऐसा कार्यक्रम एक बार आयोजित हुआ, वे दूसरी बार कभी O N C नहीं लौटे। शायद उन्होंने शराब बंदी की भी कसम खा ली होगी? तो, लब्बोलुआब ये कि- प्रदेश में शराब बंदी की जिम्मेदारी O N C को सौप दी जाए तो कैसा रहेगा?