कांग्रेस सरकार का, कांग्रेस सरकार से तकरार, सोनिया गांधी से हस्तक्षेप की गुहार
रायपुर 20 दिसंबर। छत्तीसगढ़ शासन की कथित जैव विविधता संबंधी चिंताओं, आदिवासी हितों के संरक्षण की प्रतिबद्धताओं और राजस्थान सरकार के आसन्न बिजली संकट को लेकर कांग्रेस शासित दोनों राज्यों की सरकारों के बीच कश्मकश की स्थिति निर्मित हो गई है। एक कांग्रेस सरकार का कांग्रेस का दूसरी कांग्रेस सरकार से तकरार हो गई है। सोनिया गांधी से हस्तक्षेप की गुहार लगाई गई है। राजस्थान सरकार ने छत्तीसगढ़ स्थित कोल ब्लाकों को शीघ्र मजूरी दिलवाने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
जानकारी के अनुसार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने श्रीमती गांधी को लिखे अपने पत्र में कहा है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वहां स्थित परसा कोल ब्लाक के खनन के लिए मंजूरी में देरी किए जाने से राजस्थान में बिजली की समस्या पैदा हो रही है। इससे राजस्थान की 4 हजार 340 मेगावट उत्पादन क्षमता प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा है कि यदि बाहर से कोयला मंगाने की नौबत आती है तो इससे राज्य में विद्युत की दरें प्रभावित होंगी।
आपको बता दें कि इसी महीने की शुरुआत में राजस्थान को ईंधन की कमी के कारण अपने बिजली स्टेशनों के ठप्प हो जाने से ब्लैक आउट का सामना करना पड़ा था। इसके बाद मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने श्रीमती गांधी का दरवाजा खटखटाया है।
राजस्थान सरकार का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार दो कोल ब्लॉक शुरु करने और दो अन्य खदानों में उत्पादन बढ़ाने की उसकी योजना को रोक रही है। इस संबंध में राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार से भी हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। राजस्थान के कोल ब्लॉक छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में परसा, परसा पूर्व, केते बासन और केते एक्सटेंशन में हैं। इनमें से तीन ब्लॉक 2015 में राजस्थान को 4,340 मेगावाट उत्पादन क्षमता को बढ़ावा देने के लिए आवंटित किए गए थे। राजस्थान का कहना है कि छत्तीसगढ़ में आवंटित कोल ब्लॉक में अब तक हुए खनन से कोयला खत्म होने के कगार पर है। परसा कोल ब्लॉक से खनन की मंजूरी केंद्रीय कोयला और वन मंत्रालय ने तो दी है, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने मामले को लटका दिया है।
याद रहे कि परसा कोल ब्लाक राजस्थान राज्य विद्युत निगम को आबंटित की गई थी, जिसके संचालन के लिए राजस्थान सरकार ने अडानी कंपनी के साथ अनुबंध किया है। केंद्र सरकार द्वारा परसा कोल ब्लाक में खनन के अगले चरण के लिए हरी झंडी मिलने के बाद से छत्तीसगढ़ के स्थानीय आदिवासियों तथा पर्यावरण विशोषज्ञों द्वारा चिंताएं व्यक्त की जा रही थीं। हाल ही में हसदेव क्षेत्र के आदिवासियों ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर तक पदयात्रा कर राज्यपाल को केंद्र के नाम ज्ञापन सौंपकर खनन की अनुमति दिए जाने का विरोध किया था। तब छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासियों को आश्वस्त किया था कि राज्य सरकार द्वारा उनके हितों की रक्षा की जाएगी।
हाल ही में कोयला संकट के चलते राजस्थान सरकार के नुमाइंदे छत्तीसगढ़ आये थे। उन्होंने विभिन्न स्तर पर कोयला खनन की अनुमति के लिए चर्चा की। अडानी की कम्पनी के अधिकारी लम्बे समय से सक्रिय रहकर इसके लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है। इसी के चलते राजस्थान के मुख्यमंत्री को स्वयं सामने आना पड़ा है और कांग्रेस हाईकमान से गुहार लगाने पड़ रहा है।