कोरबा-चांपा मार्ग में सड़क सुधार के नाम से हो रही सरकारी धन की खानापूर्ति

कोरबा 22 सितम्बर। यह तय नहीं हो पा रहा है कि आखिर नेशनल हाईवे 49 बी घोषित कटघोरा-चांपा का निर्माण आखिर कब शुरू होगा और यहां पर लोगों को राहत कब तक मिल सकेगी। पूरे रास्ते में अनेक स्थानों पर कई तरह की समस्याएं बने होने से परेशानी कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है। खबर है कि भू अर्जन और मुआवजा नीति के फेर में समस्याएं कायम हैं। ऐसे में सुधार कार्य के नाम पर खानापूर्ति किये जाने से सरकारी धन की भी बर्बादी हो रही है।

सबसे अधिक मुसीबत कोरबा-चांपा खंड के हिस्से में बरबसपुर से लेकर बरपाली तक के रास्ते में है। यहां पुल-पुलियों की दुर्गति के चलते असर हादसे हो रहे हैं। दूसरी तरफ अनेक जगह पर सड़क बची ही नहीं है और ऐसे में वाहन चालक विश्वास के आधार पर आना-जाना कर रहे हैं। अरसे से गड्ढों में गुम हो चुकी सड़कों का दायरा समय के साथ बढ़ रहा है। बाकी कसर बार-बार हो रही बारिश पूरी कर रही है। ऐसे में परेशानी तब और बढ़ गई है जबकि औपचारिक सुधार के नाम पर यहां मुरूम को छोड़कर मिट्टी डाल दी गई। इसने परेशानी को कम करने के बजाय और बढ़ा दिया। एक दिन पहले ही हुई भारी बारिश ने उरगा के आगे के रास्ते को इस कदर समस्याग्रस्त कर दिया कि दोपहिया और चारपहिया वाहनों का सफर मुश्किल भरा हो गया। कई वाहनों को यहां पर उलझा हुआ देखा गया। काफी मशक्कत के बाद उन्हें परेशानी से मुक्त किया जा सका। जबकि चारपहिया वाहनों में कई तरह से टूट-फूट और फंसने की दुश्वारियां पेश आईं। चालकों ने बताया कि कुछ दिनों तक मौसम ठीक होने पर यहां से केवल गर्द- गुबार और उबड़-खाबड़ हालत में आवाजाही करने की परेशानी झेलनी पड़ रही थी लेकिन अब इसका तरीका और बदल गया है। बार-बार इस बारे में स्थानीय प्रशासन से लेकर लोक निर्माण और एनएचएआई को अवगत कराया जा रहा है लेकिन हालात ढाक के तीन पात वाले बने हुए हैं।

जानकारी के अनुसार कटघोरा से चांपा तक नेशनल हाईवे का निर्माण करने के लिए पिछले वर्षों में संबंधित हिस्से में सर्वेकृत मार्ग के आसपास की आवासीय, कृषि और गैर आवासीय जमीन का अधिग्रहण करने की प्रक्रिया की गई है। अनेक मामलों में प्रभावितों को मुआवजा दे दिया गया है। जबकि काफी लोगों ने अलग-अलग तहसील में मुआवजा की राशि और इसके निर्धारण को लेकर आपत्ति दर्ज कराई है। कहा गया है कि पुनरीक्षित गाइडलाइन के हिसाब से इस मामले में उन्हें लाभान्वित नहीं किया जा रहा है जबकि कई लोगों को अधिक दर पर इसका भुगतान किया गया। असामानता को दूर करने की मांग लगातार की जा रही है। जबकि कुछ स्थानों पर सार्वजनिक प्रयोजन के स्थान मौजूद होने और उन्हें विस्थापित करने में अड़चनें हैं। ऐसे में अगली प्रक्रियाओं को संपादित किया जाना काफी मुश्किल भरा हो गया है।

दूसरी ओर नेशनल हाईवे संख्या 130 बी में नगर पालिका परिषद कटघोरा के अंतर्गत आने वाले वार्ड क्रमांक 13 और 14 में अनेक प्रभावितों ने इसी तरह की समस्या को लेकर जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट किया है। लोगों का आरोप है कि दूसरे हिस्से में जमीन अर्जित करने के लिए लोगों को ज्यादा दर के हिसाब से मुआवजा दिया गया लेकिन जुराली में इसे कम कर दिया गया। लोग जानना चाहते हैं कि इस मामले में आखिर पैरामीटर्स क्या बनाए गए हैं और इसमें विरोधाभाष क्या है। जुराली इलाके में 111 लोग इस विषय को लेकर आपत्ति दर्ज करा चुके हैं। उनका कहना है कि जब तक उनके साथ न्याय नहीं होता है वे अपने हिस्से की जमीन को एनएचएआई के हिस्से में नहीं जाने देंगे।

आखिर खानापूर्ति कब तक स्टेट हाईवे के नाम से अब तक पहचाने जा रहे कोरबा-चांपा मार्ग में सभी तरह के काम बीते कई दशक में लोक निर्माण विभाग के द्वारा ही किये जाते रहे हैं। पुल-पुलियों की स्थिति ठीक करने के अलावा सड़क सुधार का काम उसके द्वारा किया जाता रहा। एनएचएआई के हिस्से में सड़क जाने के साथ शुरूआती कामकाज जारी है। इन सबके बीच सड़क के गड्ढों को पाटने के लिए लोक निर्माण विभाग लाखों की राशि लगातार खर्च कर रहा है। इसके अलावा बरबसपुर से लेकर आगे के हिस्से में पुलों की क्षतिग्रस्त रेलिंग को ठीक कराया गया है। जबकि पुल के आसपास की सड़क अभी भी जर्जर है। सवाल जायज है कि खानापूर्ति के नाम पर भारी भरकम धन राशि कब तक खर्च की जाती रहेगी। सरकार को इस दिशा में गंभीर कदम उठाए जाने चाहिए।

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