मुसलमान संघ की शाखा आएं, कार्यों को जानें और विचारों को समझें: मोहन भागवत

धनबाद 13 सितम्बर। राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने झारखंड दौरे के दौरान संगठन को लेकर बड़ी बात कही है. उन्‍होंने कहा कि यदि महिलाएं भी संघ से जुड़ना चाहती हैं तो उनका स्‍वागत है.

मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस को महिलाओं से परहेज नहीं है. उन्‍होंने बताया कि राष्ट्र सेवा समिति से जुड़कर महिलाएं पहले से ही काम कर रही हैं. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने धनबाद के अपने तीन दिवसीय दौरे के अंतिम दिन राजकमल विद्या मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में ये बातें कहीं.

उन्‍होंने धनबाद यात्रा के अंतिम दिन बुद्विजीवियों के साथ हुई एक बैठक को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि 30 साल पहले भी यह बात सामने लाई गई थी कि संघ में महिलाओं की भागीदारी होनी चाहिए, लेकिन उस समय इस पर न तो चर्चा हुई थी और न ही विचार किया गया था. आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा कि आज परिस्थितियों में परिवर्तन आया है. महिलाएं पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर काम कर सकती हैं. इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि मुसलमान भी संघ की शाखा में आएं और आरएसएस के विचारों को समझें.

मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस में मुस्लिम समुदाय के लोग अगर जुड़ना चाहें तो जुड़ सकते हैं. संघ की शाखा आएं और हमारे कार्यों को जानें, हमारे विचार को समझें. संघ सेवा का काम करती आ रही है. उन्‍होंने आगे कहा कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है, इसके लिए किसी के प्रमाण की जरूरत नहीं है. यहां के हमारे मुस्लिम समुदाय के लोग अरब से नहीं आए हैं. सभी यही के हैं, सभी के पूर्वज हिन्दू ही थे. सभी का डीएनए एक ही है. भारत के सभी लोगों का संस्कार एक है. पूजा पद्धति भले अलग हो.

मोहन भागवत ने उदाहरण देते हुए कहा कि सिर्फ भारत के ही मुसलमान ईद-मिलाद-उन-नबी मनाते हैं. यह पैगंबर साहब के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. विश्व में अन्य कहीं के मुसलमान यह नहीं मनाते. वजह यह कि उनका संस्कार अलग है और भारतीय मुसलमानों का संस्कार पूरी तरह भारतीय है, तभी तो जिस तरह हम अपने महापुरुषों के जन्मदिन और पुण्यतिथि मनाते हैं, उसी तरह वे भी मनाते हैं.

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