कांग्रेस नेता विकास को कोर्ट से मिली अग्रिम जमानत


कोरबा 13 सितंबर। धोखाधड़ी के मामले में इंटक के जिलाध्यक्ष व कांग्रेस नेता विकास सिंह को प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायालय से अग्रिम जमानत मिल गई है। विकास ने इस मामले में कहा है कि षडयंत्रपूर्वक उसे झूठे मामले में फंसाया गया है। एक होटल के भागीदारी के लेनदेन को जमीन के मामले में उलझा कर मुझे निशाना बनाया गया। वहीं होटल की भागीदारी को लेकर 10 लाख रुपये की ठगी किए जाने के साक्ष्य होने के बावजूद पुलिस अब तक धोखाधड़ी करने वाले के खिलाफ मामला दर्ज नहीं की है।

विकास का कहना है कि कोसाबाड़ी स्थित एक होटल के संचालन की जिम्मेदारी लेने वाले शंकर राव, राजेश जायसवाल व मुकेश सिंह पार्टनर हैं। शंकर राव ने राजेंद्र पटेरिया को होटल से होने वाले लाभांश में भागीदारी देने का हवाला देते हुए 2019 में 10 लाख रुपये लिए। यह राशि उसके बैंक एकाउंट में राजेंद्र ने जमा कराया था। निर्धारित अवधि होने के बाद भी लाभांश की राशि नहीं दी गई। इसके लिए राजेंद्र लगातार दबाव बना रहा था। इस बीच छह अगस्त 2020 को राजेश जायसवाल रामपुर पुलिस चौकी में बिलासपुर स्थित एक जमीन के नाम पर 20 लाख रुपये लिए जाने की झूठी शिकायत दर्ज करा दी। राशि लेन-देन के साक्ष्य मौजूद नहीं होने के बावजूद पुलिस ने परेशान करने की नीयत से पहले राजेंद्र पटेरिया के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला धारा 420, 406 के तहत पंजीबद्ध किया, फिर एक साल बाद मेरा नाम विकास सिंह जोड़ दिया गया। जबकि इस मामले में मेरी कोई भूमिका नहीं थी और न ही होटल के पार्टनरशिप के मसले से मेरा कोई लेना देना था। चूंकि राजेंद्र पटेरिया से मेरा अच्छा परिचय है। इसलिए मेरा नाम जबरदस्ती जोड़ दिया गया। इसके पीछे की प्रमुख वजह राजनीतिक कारण है। यहां बताना होगा कि धोखाधड़ी के मामले में राजेंद्र पटेरिया की बिलासपुर हाइकोर्ट से पहले ही जमानत हो चुकी है। राजेंद्र का कहना है कि मुझसे 10 लाख रुपये होटल के मुनाफे में भागीदारी के नाम पर लिया गया और इसके साक्ष्य भी मैने रामपुर पुलिस के समक्ष प्रस्तुत करते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस मेरी शिकायत की जांच भी नहीं की और जिस मामले में साक्ष्य नहीं है उस पर एफ आइआर दर्ज कर लिया, इससे पुलिस की कार्यशैली को समझा जा सकता है।

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