महिला ने भालुओं से लड़कर पति की जान बचायी

कोरबा 12 सितंबर। प्रबल इच्छा शक्ति और टक्कर देने की मानसिकता होने पर व्यक्ति कठिन परिस्थितियों का ना केवल सामना कर सकता है बल्कि विजय भी प्राप्त कर सकता है। वनवासी क्षेत्र में भालुओं के निशाने पर रहे पति की जान बचाने के लिए पत्नी ही दो भालुओं से भिड़ गई। उसके पराक्रम ने भालुओं को जंगल की तरफ भागने को मजबूर कर दिया। वनवासी महिला के इस पराक्रम की इलाके में चर्चा हो रही है।

जिले के लेमरू थानातंर्गत आने वाले ग्राम अल्गीडोंगरी में हुई एक घटना में एक महिला ने भालुओं से लड़कर अपने पति की जान बचा ली। लेकिन इस प्रयास में वह बूरी तरह घायल हो गई। घायल महिला को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार जारी है। लेमरू थाना क्षेत्र के ग्राम अल्गीडोंगरी में रहने वाली इतवारी बाई शनिवार की शाम अपने पति पवित्तर सिंह के साथ बकरी चराने जंगल गई हुई थी। तभी 05 बजे के लगभग जंगल से निकलकर दो खुंखार भालुओं ने महिला के पति पवित्तर सिंह पर हमला कर दिया। हालांकि हमला उस समय प्रभावी नहीं हो सका। पति की जान को खतरे में देख ईतवारी बाई बिना देर किये भालुओं से भिड़ गई। अपने जीवन की चिंता ना करते हुए पत्नी ने भालुओं का डटकर मुकाबला किया। उसके इस प्रयास से पति की जान पर मंडरा रहा खतरा टल गया। इस फेर में भालुओं के नुकीले नाखुनों के कारण महिला के शरीर के कुछ हिस्सों पर काफी गहरे जख्म आ गए। इन सबके बावजूद घटनाक्रम के दौरान महिला को अपने पर भारी पड़ता देख दोनों भालु जंगल की ओर भाग निकले।

ग्रामीण क्षेत्र में हुई इस घटना की जानकारी कुछ देर बाद आसपास के इलाके में आम हुई। क्षेत्र के ग्रामीणों ने पीड़िता और उसके पति की सुध ली। इसके बाद मामले की जानकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रदाता को दी। कुछ समय के बाद यहां पहुंची 108 संजीवनी एक्सप्रेस के जरिये महिला को जिला अस्पताल भिजवाया। जहां उसका उपचार जारी है। डॉक्टरों के अनुसार महिला की स्थिति खतरे से बाहर बनी हुई है। वन विभाग को घटना की सूचना दे दी गई है। हालांकि अभी तक वन विभाग के अधिकारी अस्पातल नहीं पहुंचे हैं। जिससे आर्थिक मदद नहीं मिल पाया है।

संकटकाल में पैर पीछे खींचने के बजाय आगे बढऩे और स्थिति को नियंत्रित करना ही एकमात्र विकल्प होता है। मनोवैज्ञानिक विशखेषण कहता है कि कुल मिलाकर ऐसे हालात में अपने आपको बचाने के साथ अन्य संबंधित को संरक्षित करना बुद्धिमानी होता है। इसके लिए आपको धैर्य और संयम के साथ काम करते हुए कुछ ऐसा प्रदर्शित करना होता है कि प्रतिद्वंदी को यह आभास हो कि आप उससे कम नहीं हैं। ऐसा किये जाने से समीकरण आपके पक्ष में मजबूती के साथ खड़े होने लगते हैं और परिणाम भी अप्रत्याशित रूप से ऐसे ही प्राप्त होते हैं। मनोवैज्ञानिक आधार पर कई ऐसी घटनाओं का जिक्र पहले भी किया जा चुका है जिनमें बताया गया है कि धारा के विपरित तैरने वाले नदी और समुद्र को पार करने में सफल हुए हैं।

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