राष्ट्रीय पोषण माहः पोषण वाटिका, कोविड टीकाकरण एवं शिशु संरक्षण के प्रति जागरूकता पर जोर

तीसरे दिन जिले के 43 हजार से अधिक लोग हुए पोषण आधारित गतिविधियों में शामिल

कोरबा 5 सितंबर। गर्भवती एवं शिशुवती माताओं और बच्चों का स्वास्थ्य एवं पोषण सुनिश्चित करने के लिए जिले में सितंबर महीना राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। पोषण माह के तीसरे दिन जिले के 900 से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण आधारित विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया और जिले को कुपोषण मुक्त करने की दिशा में जागरूकता का प्रसार किया गया।

एक सितंबर को शुरू हुए राष्ट्रीय पोषण माह में प्रत्येक दिन विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। जिले के सभी 10 परियोजनाओं बरपाली, चोटिया, हरदीबाजार, करतला, कटघोरा, कोरबा शहरी एवं ग्रामीण, पाली, पसान तथा पोड़ी-उपरोड़ा के आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण आधारित गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। पोषण माह के तीसरे दिन जिले के सभी दस एकीकृत बाल विकास परियोजनाओं में कुल 43 हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि पोषण माह के तीसरे दिन जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में जनप्रतिनिधियों, परियोजना अधिकारी, महिला पर्यवेक्षकों, आंगनबाड़ी सहायिकाओं की उपस्थिति में जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्कूल, घर की बाड़ियों सहित कुल 974 स्थानों पर वृक्षारोपण किया गया। पोषण माह के तीसरे दिन आयोजित कार्यक्रम में गर्भवती एवं शिशुवती माताओं एवं बच्चों को कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूक करते हुए मास्क लगाने तथा समय-समय पर अपने हाथों को सेनेटाईज करने के लिए प्रोत्सहित किया गया। पर्यावरण को संरक्षित करने तथा जीवन के लिए ऑक्सीजन के महत्व को रेखांकित करते हुए लोगों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए जागरूक किया गया। राष्ट्रीय पोषण माह के तीसरे दिन कोविड टीकाकरण के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक किया गया तथा सभी को बिना किसी डर या भय के कोरोना टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस दौरान जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्कूलों, ग्राम पंचायतों तथा सामुदायिक भवनों में पोषण वाटिका विकसित करने के लिए प्रोत्साहित भी किया गया। पोषण माह के तीसरे दिन शिशु संरक्षण के प्रति महिलाओं को जागरूक करने विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया और जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य सुनिश्चित करने लोगों को संकल्पित किया गया। गर्भवती एवं शिशुवती माताओं को शिशु संरक्षण के प्रति जागरूक करते हुए बच्चे के जन्म के शुरूआती दो वर्ष तक पोषण के प्रति विशेष ध्यान देने तथा बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पूरक पोषण आहार देने की बात कही गई।

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