छत्तीसगढ़ में ढाई ढाई साल के दंगल पर आज दिल्ली में हो सकता है फैसला
नईदिल्ली 24 अगस्त।छत्तीसगढ़ में ढाई ढाई साल के दंगल पर आज दिल्ली में फैसला हो सकता है। यहां की सत्ता में भागीदारी को लेकर कांग्रेस हाईकमान ने सी एम भूपेश बघेल और मंत्री टी एस सिंहदेव को दिल्ली तलब किया है। राज्य के प्रभारी पी एल पूनिया की मौजूदगी में मीटिंग होगी। छत्तीसगढ़ के सी एम भूपेश बघेल बीती रात दिल्ली पहुंच गए हैं, जबकि टी एस सिंहदेव पहले से दिल्ली में मौजूद हैं।
भूपेश बघेल और सिंह देव के बीच 17 जून से ही विवाद है। इस दिन ही भूपेश बघेल ने सीएम के तौर पर अपने ढाई साल पूरे किए थे। दरअसल दिसंबर 2018 में सत्ता में आई कांग्रेस में उस वक्त सीएम पद के दावेदारों में भूपेश बघेल के अलावा टीएस सिंह देव और ताम्रध्वज साहू भी थे। लेकिन भूपेश बघेल को ही सीएम बनाया गया। उस वक्त कहा गया था कि भूपेश बघेल को सीएम बनाने के साथ ही ढाई साल का करार हुआ है। पहले ढाई साल भूपेश बघेल सीएम रहेंगे और उसके बाद टीएस सिंह देव नेतृत्व संभालेंगे। हालांकि ये चर्चाएं ही थीं, इस पर पार्टी की ओर से आधिकारिक तौर पर कभी कुछ नहीं कहा गया।
बघेल के ढाई साल पूरे होते ही छिड़ गया था विवाद
ये चर्चाएं 17 जून के बाद से फिर शुरू हुईं, जब भूपेश बघेल का ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो गया। हालांकि इसके बाद भी भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव यही कहते रहे कि कांग्रेस हाईकमान की ओर से ही इस पर कोई फैसला लिया जाएगा। दोनों नेताओं का कहना है कि इस पर केंद्रीय नेतृत्व की ओर से जो भी आदेश होगा, वे उसे मानेंगे। यही नहीं मंगलवार को होने वाली मीटिंग के संबंध में टीएस सिंह देव से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में आपको पीएल पूनिया जी से पूछना चाहिए। वह सही व्यक्ति हैं। वहीं पीएल पूनिया की ओर से इस संबंध में अब तक कुछ कहा नहीं गया है।
नजरअंदाज किए जाने के चलते भी नाराज हैं टीएस सिंह देव
यही नहीं इस महीने की शुरुआत में भी टीएस सिंह देव दिल्ली आए थे और सीनियर नेताओं से मुलाकात की थी। हालांकि जब सीएम पद को लेकर पूछा गया तो उनका कहना था कि ऐसा कुछ नहीं था। मैं पर्सनल विजिट पर आया था। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सीएम पद के अलावा भूपेश बघेल की ओर से अहम फैसलों में टीएस सिंह देव को नजरअंदाज किए जाने के चलते भी विवाद बढ़ा है। बीते 16 महीनों में कोरोना को लेकर कई मीटिंग हुई हैं, लेकिन उनमें भी टीएस सिंह देव को किनारे ही रखा गया। कहा जा रहा है कि इसके चलते भी दोनों के बीच विवाद बढ़ा है।
पिछले महीने विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान विधायक बृहस्पत सिंह की ओर से टीएस सिंहदेव पर लगाए गए आरोपों के बाद छत्तीसगढ़ में सत्ता के दो केंद्रों के बीच दूरी दिखने लगी है। इन आरोपों से सिंहदेव इतने आहत हुए थे कि उन्होंने आरोपों के संबंध में सरकार की ओर से सफाई आए बिना विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था। बाद में बृहस्पत सिंह ने आरोपों के लिए सदन में माफी मांगी और सरकार की ओर से गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा, सिंहदेव पर लगाए गए आरोप निराधार थे। उसके बाद ही सिंहदेव वापस लौटे। उसके बाद सिंहदेव दिल्ली जाकर अपनी बात रख आए थे। बताया जा रहा है, राहुल गांधी ने दोनों नेताओं को बुलाकर आमने-सामने बात करने का फैसला किया है। इसके तहत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री दिल्ली जाकर राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे। इस विवाद से बढ़ी खाई भरे माहौल में दोनों नेताओं की यह राहुल गांधी से पहली मुलाकात होगी। इस मुलाकात से क्या निकलता है, इस पर सभी की निगाह है।
राजीव भवन के उद्घाटन में शक्ति प्रदर्शन
सत्ताधारी कांग्रेस के शक्ति केंद्रों में टकराव अब सभी को दिखने लगा है। अम्बिकापुर में जिला कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन के उद्घाटन के दौरान ये साफ दिखा। सरगुजा के प्रभारी मंत्री के तौर पर लोकार्पण के लिए संगठन ने प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत को भेजा। टीएस सिंहदेव के समर्थकों ने वहां राजीव भवन का फीता पहले ही कटवा दिया।