नवजोत सिंह सिद्धू ने जब की थी- राधे मां और आसाराम बापू की तारीफ
नई दिल्ली 25 जुलाई: पंजाब कांग्रेस में नवजोत सिंह सिद्धू की बढ़ती ताकत के बीच पार्टी में खींचतान का सिलसिला जारी है। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष बन जाने के बाद सिद्धू के कई विरोधियों ने तो उनके पुराने बयान शेयर कर निशाना साधा है। माना जा रहा है कि इन्हें लेकर पार्टी में नए विवाद खड़े हो सकते हैं। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब नवजोत सिद्धू किसी विवाद में उलझे हों। इससे पहले भी राजनीति से लेकर मनोरंजन और खेल तक के क्षेत्र में भी विवादों का उनके साथ नाता रहा है।
ऐसा ही एक विवाद तब भी उठा था, जब सिद्धू ने एक कार्यक्रम के दौरान विवादित धर्मगुरु ‘राधे मां’ की तारीफ में कसीदे पढ़ दिए थे। इतना ही नहीं इससे पहले सिद्धू दुष्कर्म के आरोपी आसाराम बापू की तारीफ कर के भी सुर्खियों में आए थे।
नए कांग्रेस अध्यक्ष के जो वीडियो वायरल हो रहे हैं, उनमें एक मौके पर वो दहेज उत्पीड़न और अन्य कई मामलों में आरोपी राधे मां और एक अन्य जगह आसाराम बापू की तारीफ करते दिख रहे हैं। दोनों ही मौकों पर सिद्धू एक ही तुकबंदी का इस्तेमाल करते हैं। जहां राधे के कार्यक्रम में सिद्धू कहते हैं- “यूं तो रब की हर जगह बात होती है, लेकिन राधे मां के दरबार में रब से मुलाकात होती है। हर कोई उस परवर दिगार से रहमतों की भीख मांगता है। इस दरबार में रहमतों की बरसात होती है।”
उधर, आसाराम के कार्यक्रम में भी सिद्धू इसी बात को दोहरा कर कहते हैं- “यूं तो रब की हर जगह बात होती है, लेकिन बापू के दरबार में रब से मुलाकात होती है।” वे आगे कहते हैं- “हर जगह जाति के, धर्म के, ईश के बखेड़े हैं। बापू के दरबार में भक्तों की एक जात होती है। हर कोई उससे रहमतों की भीख मांगता है, लेकिन बापू के इस दरबार में रहमतों की बरसात होती है।”
ऐसे में सिद्धू की वजह से एक ही पार्टी के विधायकों के बंटने की संभावना भी जताई जा रही है। कांग्रेस पार्टी के ही कुछ कार्यकर्ताओं ने सिद्धू के भाजपा में रहने के दौर के वीडियो शेयर किए हैं, जिसमें उन्होंने जवाहर लाल नेहरू से लेकर इंदिरा और फिर सोनिया-मनमोहन तक को निशाने पर लिया था।
2008 में मध्य प्रदेश में एक चुनावी सभा में उन्होंने राहुल गांधी को विकास के मुद्दे पर बहस की चुनौती दी थी। माह अक्टूबर 2010 में एक चुनावी सभा में सिद्धू ने कहा था कि राहुल गांधी स्कूल में जाकर पढ़ें और राष्ट्रवाद और राष्ट्रद्रोह में फर्क करना सीखें। हालांकि, कांग्रेस में आकर वह राहुल गांधी की शान में कसीदे पढ़ने लगे।