पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा वायु प्रदूषण पर रोक नही, जन स्वास्थ्य पर बढ़ी परेशानी
कोरबा 23 जुलाई। औद्योगिक जिले में समय के साथ प्रदूषण का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इसके पीछे उद्योगों के धुंए के साथ-साथ खनिज परिवहन की प्रक्रिया अहम मानी जा रही है। प्रदूषण के चलते जन स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। इन परेशानियों को हल करने के लिए सरकारी दावे जरूर हो रहे हैं। जबकि इस दिशा में काम करने की जरूरत महसूस की जा रही है।
देश ही नहीं बल्कि एशिया की प्रदूषित नगरी में कोरबा का नाम बीते सर्वेक्षणों में शामिल हो चुका है। 25 वर्ग किमी में कोयला खदानों के साथ उद्योगों का विस्तार होने की वजह से वायु प्रदूषण की समस्या लगातार भयावह होती जा रही है। जिले के चार क्षेत्रों में कोयला खदानों सहित कोलवासरी का संचालन कई दशक से चल रहा है। इसके अलाव एनटीपीसी, सीएसईबी के अलावा कई निजी समूहों के बिजली घर जिले में संचालित है। उद्योगों की अधिकता के साथ वाहनों का दबाव जिले में लगातार बढ़ रहा है। उद्योगों की गतिविधियों के साथ रोड ट्रांसपोर्ट में लगातार बढ़ावा होने के चलते प्रदूषण की समस्या दिन ब दिन मजबूत हो रही है। इसके चलते लोगों के सामने कई तरह की परेशानिया पेश आ रही है। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के द्वारा समस्या की रोकथाम के लिए काम करने के दावे किये जा रहे हैं। लेकिन जमीन पर ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है।
प्रदूषण की समस्या के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। श्वसन संबंधी बीमारियों के कारण लोगों की स्थिति खराब हो रही है। लोगों का काफी पैसा उपचार पर खर्च हो रहा है। यह बात अलग है कि केन्द्र सरकार ने सभी लोगों के लिए स्वास्थ्य योजना तैयार कर रखी है। इसमें कुछ ही अस्पतालों को पैनल में शामिल किया गया है। जबकि कई अस्पताल लोगों को लूटने के लिए दूसरे तरीके अपना रहे है।