चेम्बर अध्यक्ष रामसिंह अग्रवाल ने की सभी नागरिकों व व्यापारियों से चीनी सामानों के बहिष्कार की अपील
कैट के दूसरे चरण का अभियान आरम्भ
कोरबा 22 जुलाई। जिला चेम्बर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष और कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के जिला संयोजक रामसिंह अग्रवाल ने सभी नागरिकों और व्यापारियों से चीनी सामानों के बहिष्कार की अपील की है। साथ ही ऑन लाइन खरीदी की जगह स्थानीय स्तर पर सभी सामानों की खरीदी कर स्थानीय व्यवसाय को मजबूत बनाने की अपील उपभोक्ताओं से की है।
चेम्बर अध्यक्ष श्री अग्रवाल ने बताया कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के द्वारा रायपुर में गुरुवार को चीनी सामानों के बहिष्कार के दूसरे चरण की शुरुआत की है।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौबे अभियान के शुभारंभ अवसर पर मौजूद थे।
उन्होंने बताया कि गत वर्ष शुरू किए गए चीनी उत्पादों के बहिष्कार के अभियान के क्रम में कन्फेडरशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज देश भर में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के राष्ट्रीय अभियान ” का दूसरा चरण प्रारम्भ करते हुए भारतीय सामान हमारा अभिमान” की शुरआत की जिसमें कैट ने दिसम्बर 2021 तक चीन में निर्मित वस्तुओं के भारत में आयात को 1 लाख करोड़ कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। कैट का यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “लोकल पर वोकल” और “आत्म-निर्भर भारत” के आवाहन को सफल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी के अनुसार इस अभियान के दूसरे चरण में कैट ने एफएमसीजी उत्पाद रोज़मर्रा की वस्तुएँ किराना फूटवियर खिलौने रसोई उपकरण क्रॉकरी गिफ़्ट आइटम फ़र्निशिंग फ़ैब्रिक जैसी आम वस्तुओं जो वर्तमान में चीन से आयात होती हैं और जिनका उत्पादन भारत में भी एक लम्बे समय से होता आया है, के पूर्ण बहिष्कार की योजना बनाई है। कैट अपने इस अभियान के अंतर्गत देश भर में व्यापारियों एवं लोगों को जागरूक करेगा कि चीनी वस्तुओं की बजाय भारतीय उत्पाद ही बेचे और ख़रीदे जाएँ । पारवानी एवं दोशी के मुताबिक चीन से भारत में मौटे तौर पर चार प्रकार की वस्तुएं आयात होती हैं जिनमें तैयार माल यानी फिनिश्ड गुड्स, कच्चा माल अर्थात रॉ मैटेरियल, स्पेयर पार्ट्स तथा तकनीकी उत्पाद शामिल हैं। वर्ष 200 में चीनी वस्तुओं का भारत में आयात केवल 2 बिलियन डॉलर था, जो अब वर्तमान में बढ़कर 70 बिलियन डॉलर हो गया है। इसका मतलब यह है कि केवल 20 वर्षों में चीन से आयात में 3500 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो यह साफ़ दर्शाता है कि एक सोची समझी रणनीति के तहत चीन, भारत के रिटेल बाजार पर कब्ज़ा जमाने की कोशिश में लगा हुआ है। जिसको भारत के व्यापारी एवं नागरिक किसी भी सूरत में सफल नहीं होने देंगे। पारवानी एवं दोशी ने इस बात को स्वीकार करते हैं कि पिछले दस वर्षों में भारत के व्यापार और उद्योग चीनी वस्तुओं के भारत में बढ़ते प्रवेश को नजरअंदाज किया और इन वस्तुओं का कोई विकल्प तैयार करने की कोशिश नहीं की वहीँ सरकारें भी इस मामले में विफल रहीं और भारत के व्यापार पर कब्ज़ा ज़माने के चीन के इरादों को समझ नहीं पाई जिसके चलते देश में विकल्पों को लेकर कोई नीति नहीं बनाई गई। अब इस मुद्दे को हमने समझा है और सरकार से चीनी उत्पादों के मजबूत विकल्प के रूप में भारतीय सामानों को पर्यापत मात्रा में बनाये जाने के मुद्दों को लेकर बात शुरू करेगा और एक रणनीति के तहत भारत के लघु उद्योगों को इस मामले में आवश्यक रूप से समृद्ध करने की बात करेगा। व्यापारी नेताओं ने बताया कि देश भर में 40 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठन और उनसे जुड़े 8 करोड़ व्यापारी इस अभियान में भाग लेंगे। इस अभियान के तहत व्यापारियों एवं ग्राहकों के बीच एक व्यापक जन जागरण अभियान चलाया जाएगा। याद रहे कि देश के 138 करोड़ लोगों का पहला संपर्क देश भर में किसी भी व्यापारी की दूकान से होता है। इस दृष्टि से व्यापारी भी अपनी दूकान पर आने वाले ग्राहकों को चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का सन्देश देंगे।