श्रमिक संघ 23 को मनाएंगे राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस
कोरबा 17 जुलाई। सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों का निजीकरण बंद कराने, तीन कृषि कानून को रद्द करने व आयुध कारखाने के निजीकरण के खिलाफ मजदूरों व ट्रेड यूनियन 23 जुलाई को राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस मनाएंगे। सभी क्षेत्र में श्रमिक संघ प्रतिनिधि एक जुट होकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
केंद्र सरकार की नीति के खिलाफ ट्रेड यूनियन प्रतिनिधि लगातार आंदोलन कर रहे हैं और अपना विरोध दर्ज करा रहे है। अब एक बार पुनः आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया गया है। एटक के प्रदेश महासचिव हरिनाथ सिंह ने बताया कि देश में 41 आयुध कारखानों की स्थापना वर्ष 2014 से पहले की सरकारों ने किया थाए जिसे वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा सात निगमों में बांटकर निजीकरण के जरिए कारपोरेट घरानों हाथों में बेचना चाहती है। इसका डिफेंस फैक्ट्रियों में कार्यरत 80 हजार कामगारों एवं तकनीकी विशेषज्ञ लगातार विरोध कर रहे हैं और अब 26 जुलाई 2021 को हड़ताल पर जाने की नोटिस दिए हैं। इस पर केंद्र सरकार ने आवश्यक सेवा अधिनियम के तहत अध्यादेश जारी किया गया है जिसमें हड़ताल करने अथवा हड़ताल के लिए जागरूक करने तथा आर्थिक मदद देने वालों के विरूद्ध भी दंडात्मक कार्रवाई किए जाने का प्रावधान शामिल है। हरिनाथ ने कहा कि पेट्रोल और डीजल के कीमतों में बढ़ोतरी के कारण महंगाई आसमान छू रही हैए इससे आम आदमी के जीवकोपार्जन की समस्या उत्पन्न हो रही है।
अर्थव्यवस्था, चिकित्सा व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है लोग भूखमरी के शिकार हो रहे हैं फिर भी सरकार कहती है कि विकास हो रहा है। महासचिव हरिनाथ ने कहा कि किसान सात महीने से तीनों कृषि कानून को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को लेकर दिल्ली समेत पूरे देश में आंदोलन कर रहे हैं फिर भी सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है। श्रम कानूनों को बदल कर चार श्रम संहिता लाकर मजदूरों को आधुनिक गुलामी की दलदल में धकेला जा रहा है। उन्होंने कहा कि मजदूर विरोधी सारे श्रम कानूनों को रद्द नहीं किया जाता तब तक मजदूर आंदोलन के मार्ग पर चलते रहेंगे। इस मुद्दों को लेकर आगामी शुक्रवार को देशव्यापी विरोध दिवस मनाया जाएगा।