खोदापुर कहने वाले, मिशन अमृत की सड़कों के गड्ढों पर मौन क्यों है! – पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल

राष्ट्रीय प्राथमिकता के कार्यों में शासन प्रशासन की कोई रुचि नहीं, संसाधनों का कमी का रोना राज्य सरकार की आदत में शुमार – पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल

बिलासपुर 04 जुलाई। पूर्व मंत्री श्री अमर अग्रवाल ने अमृत मिशन योजना की लेटलतीफी पर क्रियान्वयन एजेंसी एवं राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि राष्ट्रीय प्राथमिकता के कार्यों में जनता को सुविधा मुहैया कराना राज्य सरकार की कार्यशीली में नहीं है। प्रदेश में अनेकों केंद्र की योजनाओं का लाभ राज्य के वासियों को नहीं मिल पा रहा है। श्री अग्रवाल ने कहा शहरी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री मोदी जी ने राष्ट्रीय प्राथमिकता के विभिन्न घटकों में शहरों के परिवारों को बुनियादी सेवाएं मुहैया कराने और सुख-सुविधाएँ मुहैया कराने के उद्देश्य से अवसरंचना विकास के लिए अमृत मिशन अभियान आरंभ किया ।मिशन अमृत के अंतर्गत पांच सौ शहरों को शामिल किया गया। यूएलबी द्वारा सेवा स्तरीय विस्तार योजना तैयार कर जनता की प्रत्यक्ष आवश्यकता सम्बंधित सुविधाओं को मुहैया कराना प्रमुख लक्ष्य रखा गया था।
कालांतर में देश के विभिन्न नगरीय निकायों के साथ छत्तीसगढ़ के नौ प्रमुख नगरीय निकायों में 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा के विकास कार्यों का प्रावधान किया गया। केवल पेयजल आपूर्ति सुविधा के लिए डेढ़ हजार करोड़ रुपए की सुचारू व्यवस्था हेतु प्रावधान किया गया, लेकिन राज्य सरकार की रुचि हुई केंद्र की परियोजनाओं को पूरा करने में नहीं है, वह केवल संसाधनों की कमी का रोना रोती रहती है, जिससे प्रॉपर फंडिंग के बावजूद जनता को समय पर लाभ मिलने की बजाय मिशन के विभिन्न घटकों का कार्यान्वयन अधर में लटका हुआ है। अमर अग्रवाल ने कहा कि मिशन अमृत (अटल शहरीकरण नवीनीकरण और परिवर्तन मिशन) की स्टेट की हाई पावर कमेटी के द्वारा अक्टूबर 2017 से बिलासपुर को 301 करोड़ रुपए की पेयजल आपूर्ति योजना की सौगात मिली। बिलासपुर के नागरिकों की आने वाले 5 दशकों तक भावी पीढ़ी की पेयजल आवश्यकता की पूर्ति करने के साथ शहर की अनेक कालोनियों जैसे विद्यानगर, विनोबा नगर तेलीपारा, तारबहार, मगरपारा, सरकंडा, तोरवा आदि इलाके जहां सतत दोहन से भूजल स्तर लगातार गिरने की समस्या देखी जा रही है, सतह जल आधारित अमृत मिशन से पेयजल आपूर्ति द्वारा अंडर ग्राउंड वाटर लेवल का भी संतुलन बनाए रखने हेतु खुटाघाट जलाशय से बिलासपुर नगर निगम के लिए स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुविधा निर्माण कार्य आरंभ हुआ, जिसे 2 वर्षों में 2019 तक पूरा हो जाना था, किंतु ठेका कंपनी ह्यूम पाइप सर्विसेस लिमिटेड को बार-बार एक्सटेंशन दिए जाने से आज भी यह कार्य लंबित है और 2022 तक पुनः एक्सटेंशन ठेका कंपनी को प्रदान किया गया। ठेकेदार की लेटलतीफी और निगम प्रशासन और नगरीय विकास विभाग की ढुलमूल और कामचलाऊ व्यवस्था से शहरवासियों को पीने के पानी की मूलभूत जरूरत का लाभ समय पर नहीं मिल पा रहा है। श्री अग्रवाल ने कहा कि, योजना के तहत बिलासपुर की जनता को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति के लिए बिरकोना में ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर खुटाघाट से बिरकोना तक की 26 किलोमीटर पाइप लाइन योजना अंतर्गत बिछाई जानी है। बिरकोना से शहर तक 276 किलोमीटर पाइप लाइन मिटाने का लक्ष्य रखा गया, समय सीमा बीत जाने के बावजूद क्रियानवयन एजेंसी और ठेका कंपनी के द्वारा कार्य में अनावश्यक देरी किया जा रहा है। पाइप लाइन बिछाने का कार्य भी आज तक पूरा नहीं हुआ है। अनेक मोहल्लों में जहां पाइप लाइन लगाई गई है वहां पानी टंकी के द्वारा ट्यूबवेल से पेयजल सुविधा शुरू किए जाने के दावे के बावजूद लोगों को स्वच्छ पेयजल सुविधा नहीं मिल पा रही है। ट्यूबवेल से पानी सप्लाई के लिए अतिरिक्त प्रावधान भी नही किया गया है, आज भी टैंकर के माध्यम से लोग पीने का पानी पीने की सप्लाई अनेक इलाको में की जा रही है। अमर अग्रवाल ने बताया सतही जल के प्रयोग पर आधारित मिशन अमृत योजना अंडर ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करते हुए जनता को 24 घंटे स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए लाई गई थी, लेकिन 210 करोड़ रु से ज्यादा खर्च हो जाने के बाद भी आज भी लोगों को ना तो अमृत मिशन का पानी मिला बल्कि पाइप लाइन बिछाने के नाम पर पूरे शहर की सड़कों जगह-जगह गड्ढे कर दिए गए। ठेका की शर्तों में रोड रेस्टोरेशन के नाम पर नियमो के विरुद्घ जाकर खानापूर्ति की जा रही है, जिससे शहर के मुख्य इलाकों और गलियों में अनेक छोटे बड़े गड्ढे बन गए है और इन सड़कों में आए दिन दुर्घटना होती रहती है, लेकिन आश्चर्य तो तब होता है जब अपनी कर्मभूमि को खोदापुर की संज्ञा देने वाले जनप्रतिनिधि और उनके समर्थक आज इस अव्यवस्था पर मौन क्यों हैं? व्यवस्था के सुचारू क्रियान्वयन के जिम्मेदार लोगों ने आंखों में पट्टी पर चढ़ाकर चुप्पी साध ली है। बिरकोना में 72 एमएलडी क्षमता के फिल्टर प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। खुंटाघाट से पानी पाइप लाइन के जरिए सीधे बिरकोना स्थित फिल्टर प्लांट में लाया जाना है। यहां से पानी का शोधन कर पाइप लाइन के जरिए शहर के विभिन्न् मोहल्लों में बने पानी टंकियों में भेजा जाएगा और इस टंकियों से लोगों के घरों में चौबीस घंटे लोगों को पानी मिलेगा। शहरवासी अपने घर में लगे टेपनल पर 24 घंटे पानी ले सकेंगे,इसके एवज में लोगों पानी का उपयोग के हिसाब न्यूनतम जल शुल्क भी प्रस्तावित है। उन्होंने कहा ठेका कंपनी द ह्यूूम पाइप लिमिटेड पाइप लाइन बिछाने के साथ ही ठेका कंपनी के कर्मचारियों द्वारा लोगों के घरों में मीटर भी लगाया जाना था, लेकिन जनता से जुड़े विकास के मुद्दों से निगम प्रशासन की कोई रुचि दिखाई नहीं देती।

खुटाघाट बांध में पानी की उपलब्धता के लिए कटघोरा से 15 किलोमीटर दूर अमलड़िहा में अहिरन नदी पर बैराज बनाकर प्रतिदिन 103.7 मिलियन घन मीटर पानी प्राप्त किया जाना है एवं खुटाघाट से अहिरन तक 55 किलोमीटर की फीडर नहर के द्वारा प्रतिदिन 70 लाख घनमीटर पानी को खुटाघाट डैम में भरा जाना तय किया गया, इस तरह अहिरन नदी के बैराज से वार्षिक मांग 29.56 लाख घनमीटर पानी की वार्षिक मांग का आकलन किया गया है, किंतु अहिरन नदी पर जब तक बैराज का कार्य पूरा नहीं होगा यह योजना दिवा स्वप्न की तरह होगी और आने वाले तीन सालों में कागजो में ही पेयजल आपूर्ति होगी।प्रस्तावित अमृत मिशन योजना के शहर के चिन्हाकित स्थानो में बिरकोना में शोधित जल के संग्रहण के लिए प्रस्तावित छह पानी की टंकियों में केवल तीन पानी की टंकी बन पाई है, घरों में मीटर लगाने का काम भी आधा हो पाया है। ऐसे में महानगरों की तर्ज पर शहरवासियों को 24 घंटे साफ पीने का पानी की सुविधा उपलब्ध होना अभी दूर की कौड़ी बना हुआ है। गर्मी के दिनों में पेयजल संकट बढ़ जाता है, भूजल स्तर भी आए दिन गिरता जा रहा है। नलों में फोर्स भी बहुत कम आता है, घरों में लगे ट्यूबवेल से भी वाटर लेवल कम होते जा रहा हैं, टैंकर के जरिए पानी की आपूर्ति से लोगों में विवाद की स्थिति बनी रहती है। खूंटाघाट से नगर वासियों को पीने के पानी की सुविधा मुहैया होने के बाद क्षेत्र के हजारों बोरवेल और मोटर पम्प से भी निजात मिलेगी और जलाशय के पानी घर-घर पहुँच, सुलभ हो जाती, किंतु आधी अधूरी परियोजना निर्माण के साथ विगत दो वर्षों पहले निगम क्षेत्र के विस्तार के बाद जुड़े ग्रामीण इलाकों में भी पीने के पानी की समस्या का विकराल रूप ले रही है बावजूद इसके ठेकेदारों, अधिकारियों की मिलीभगत से महत्वपूर्ण परियोजना अधर में पड़ी है। जनता की सुविधाओं के बजाए अवैध कॉलोनियों के गोरखधंधे को ज्यादा तरजीह दी जा रही है, बिलासपुर माफियाओं की राजधानी बन गया हैं और जमीने चलने लगी है हवा में उड़ रही है, जिससे अमृत मिशन से राहत का पानी नागरिकों को मिल जाए यह कागजी प्राथमिकता बन गया है, जिस मिशन योजना को 2019 में पूरा हो जाना था और लोगों को 24 घंटे पानी पीने की सुविधा मिल जानी थी, किंतु आज भी लोग पीने के पानी की सुविधा के लिए परेशान रहते हैं और मिशन अमृत के बेतरतीब रेस्टोरेशन से जगह जगह बन गए सड़कों के गड्ढे खोदापुर कहने वालों को आईना लेकर ढूंढ रहे हैं। अतः वास्तविक योजना लाभ शहरवासियों को दिलाने के लिए राज्य सरकार एवम क्रियान्वयन एजेंसी को प्रतिबद्ध प्रयास कर शीघ्रता से कार्य पूर्ण करना चाहिए।

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