गांव में प्राइवेट अस्पताल खोलने की जानकारी नहीं, मैं इससे सहमत नहीं- सिंहदेव
रायपुर 29 जून: छत्तीसगढ़ सरकार आने वाले दिनों में गांव में प्राइवेट अस्पताल खोलने जा रही है. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं मिल सकेंगी. लेकिन इसे लेकर छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बड़ा बयान दिया है. प्रदेश में लगातार कम हो रहे कोरोना संक्रमण, वैक्सीनेशन और डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने प्रेस प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. जिसमें स्वास्थ्य मंत्री ने ये बयान दिया.
हेल्थ मिनिस्टर ने कहा कि मैंने भी इस बारे में सुना है. लेकिन मेरे से इस बारे में किसी से चर्चा नहीं हुई है. मैं इससे सहमत नहीं हूं. मैं तो पहले से ही मुफ्त सेवा की बात करता हूं. पब्लिक के पैसे से मुफ्त सेवा हो मैं इसका विचार रखता हूं और हम ये कहते हैं कि हमारे पास स्वास्थ्य को और अच्छा करने के लिए पैसों की कमी आती है. वहीं दूसरी ओर हम निजी क्षेत्र को पैसा देते हैं. अगर निजी क्षेत्र फ्री में काम करेगा तो ठीक है. कोई दिक्कत नहीं है. आप ग्रांट लीजिए और आप मुफ्त इलाज कराइए तो बात समझ में आती है. लेकिन पब्लिक का पैसा किसी भी संस्था को दीजिए, आप फिर कहिए कि पब्लिक से पैसा लो, तो ये नीति बिल्कुल उचित नहीं होगा.
सरकार के पास पैसा नहीं फिर भी ये कदम समझ से परे: सिंहदेव
उन्होंने कहा कि कोई गंभीर रूप से अभी इस बारे में चर्चा नहीं हुई है. मैं इस पक्ष में नहीं हूं. इस बारे में मुझसे कोई चर्चा नहीं हुई है. मैं नहीं कह सकता कि जनसंपर्क ने किसके कहने पर ये जानकारी दी, कैसे निकाली, कब निकाली, लेकिन इस बारे में मुझसे चर्चा नहीं हुई है. हमने तो जब भी विभागीय तौर पर बात की है तो इसी बात पर चर्चा हुई है कि पब्लिक सिस्टम को हमको मजबूत करना है. तो जब हमारे पास पैसे की कमी है उस स्थिति में प्राइवेट सेक्टर को पैसे देना यह मेरे समझ के बाहर है. कौन सा डॉक्टर किस ग्रामीण क्षेत्र में काम करेगा? कोई विशेषज्ञ डॉक्टर सुकमा में जाकर काम करेगा क्या ? ऐसे डॉक्टर तो रायपुर नहीं छोड़ते हैं. दूरदराज के गांवों में ये कहां जाएंगे ? तो पता नहीं किस ग्रामीण क्षेत्र के परिवेश में ये बात हुई है. पर मैं इससे सहमत नहीं हूं.
DPR के हवाले से खबर
बता दें कि इस संबंध में सीएम भूपेश बघेल के हवाले से छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्धारा यह खबर दी गई है कि अब गांव में निजी अस्पतालों को बढ़ावा देने के लिए सरकार मदद करेगी.
राज्य सरकार जल्द ही गांवों में प्राइवेट अस्पताल खोलने जा रही है. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं मिल सकेंगी. हालांकि सरकार की यह योजना कितनी कारगर होगी, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. सरकार की इस योजना को लेकर पक्ष-विपक्ष सहित इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, सबकी अपनी राय है.
कांग्रेस ने फैसले का किया स्वागत
राज्य सरकार की ओर से उठाए गए इस कदम का कांग्रेस ने स्वागत किया है. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी का कहना है कि शहरों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर उपलब्ध होती हैं, निजी अस्पताल भी होते हैं, लेकिन गांवों के लोग इस सुविधा से महरूम होते हैं. गांव के लोगों को यह सुविधा देने के लिए भूपेश बघेल सरकार एक नई योजना लेकर आई है. इससे समाज के हर वर्ग को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी.
ग्रामीण क्षेत्रों में निजी अस्पताल खुलने से स्वास्थ्य सुविधाएं होगी बेहतर
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सदस्य राकेश गुप्ता का कहना है कि ज्यादातर निजी अस्पताल चार-पांच जिलों तक ही सीमित रहते हैं. आदिवासी सुदूर जगहों पर निजी अस्पताल नहीं हैं. वहां पर अस्पताल खोलने के लिए सरकार अनुदान या फिर कंसेशन के रूप में जमीन देगी, क्योंकि अस्पताल के लिए जमीन एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और उस पर अस्पताल की बहुत बड़ी रकम खर्च होती है. यह अच्छी पहल है. इससे डॉक्टर जो जमीन के अभाव में ग्रामीण क्षेत्र में अस्पताल नहीं खोल पा रहे थे, अब वे अस्पताल खोल सकेंगे. इससे स्थानीय लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया हो सकेंगी.
निजी अस्पताल से लोगों की जेब पर पड़ेगा असर
इधर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि सरकार कहती है कि हम स्वास्थ्य सुविधाएं जन-जन तक पहुंचाएंगे, हालांकि निजी अस्पतालों में लोगों को काफी पैसा खर्च करना पड़ता है. इससे आम जनता को काफी परेशानी होगी. उन्होंने कहा कि अब प्रदेश में सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं. इस कारण सरकार निजी अस्पतालों का सहारा लेने जा रही है. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि सरकारी या निजी अस्पतालों का निर्माण होना चाहिए. इससे चिकित्सा व्यवस्था में वृद्धि होगी. हालांकि इन अस्पतालों में सरकार का नियंत्रण नहीं होगा. इससे लोगों को काफी आर्थिक परेशानी होगी.
ब्लॉक स्तर के शासकीय अस्पतालों में सुविधा एवं संसाधनों की है कमी
राज्य सरकार की ओर से जिले से लेकर ब्लॉक स्तर तक छोटे-बड़े अस्पतालों की व्यवस्था की गई है. इसके बावजूद प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत नहीं हो पा रही है. वहीं कोरोना काल में तो और भी स्थिति भयावह हो गई है. आलम यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में स्थित शासकीय अस्पतालों में नियुक्ति के बाद भी डॉक्टर वहां नहीं जाते हैं. राज्य सरकार ने कई बार इन डॉक्टरों को नोटिस भी जारी किया है.