कोरबा: रेत घाट बन्द, मगर रेत की चोरी और तस्करी प्रारम्भ

कोरबा 20 जून। शहर के रेत खदान के निकट रेत खदान ठेकेदार को रेत संग्रहण की अनुमति दे दी गई है। अब इसकी आड़ में खदान से रेत की कथित चोरी और तस्करी शुरू हो गई है। रेत का दाम आसमान छूने लगा है। इससे लोगों में असंतोष फैल रहा है।

जिला प्रशासन ने वर्षा ऋतु आने के कारण 10 जून 2021 से रेत घाटों को प्रतिबंधित कर दिया है। यहां से अब ना तो रेत खोदी जानी है और ना ही परिवहन होना है। प्रतिबंध से पहले ठेका प्राप्त जिन लोगों ने अलग से भंडारण की अनुमति प्राप्त कर रेत का भंडारण कर लिया है, वह अपने कार्य क्षेत्र के लिए इसे ले जा सकते हैं। दूसरी ओर इस तरह के नियम की आड़ लेकर कुछ ठेकेदार के द्वारा घाट के निकट ही भंडारण की रेत उठाव की आड़ में नदी से रेत खोदकर ले जाई जा रही है। रेत की लगातार चोरी की जा रही है। रेत घाट प्रतिबंधित करने के बाद भी सुबह से रात तक ट्रैक्टर रेत भरकर शहर की सड़कों पर दौड़ रहे हैं।

बताया जा रहा है कि रेत घाट में जाकर रेत निकाली और परिवहन की जा रही है जबकि इन दिनों इस तरह का कोई भी कार्य रेत घाट के क्षेत्र में नहीं होना है। रेत खनन के लिए अलग और उसका भंडारण के लिए अलग से अनुमति लेनी होती है। रेत घाटों में रेत भंडारण की अनुमति नहीं दी जाती। नियमो के अनुसार इस समय तो घाट में प्रवेश ही प्रतिबंधित रहता है और रेत घाट से न्यूनतम 100 मीटर की दूरी पर ही रेत भंडारण की अनुमति देना होता है लेकिन यहां घाट से महज कुछ मीटर दूर ही भंडारण की अनुमति दी गई है। सीतामढ़ी स्थित रेतघाट से सुबह से रात तक ट्रैक्टर रेत भरकर आना-जाना कर रहे हैं। इसके विषय में तर्क दिया जाता है कि ठेकेदार को घाट क्षेत्र के निकट रेत भंडारण की अनुमति दी गई है। खनिज अधिकारी एसएस नाग कहते हैं कि पानी के नीचे की रेत भंडारण क्षेत्र में शामिल नहीं होती और ठेकेदार को घाट के निकट भंडारण की अनुमति दी गई है। लेकिन इन दिनों बारिश के कारण हसदेव नदी का उपरोक्त रेत घाट लबालब है। ऐसे में घाट क्षेत्र में रेत का भंडारण नियम विरुद्ध है, फिर कैसे यहां अवैध भंडारण की अनुमति प्रदान कर दी गई? सूत्र बताते हैं कि रेत घाट और भंडारण स्थल दोनों एक ही जमीन है और दोनों का खसरा भी एक ही है फिर ऐसे में आखिर क्यों खनिज और राजस्व विभाग इस ओर से अपनी आंखें मूंद कर पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करने की न सिर्फ छूट दे रहा है बल्कि सरकार को भी एक तरह से चपत लगाने में मदद की जा रही है।

इधर रेत की काला बाजारी भी शुरू हो गई है। शासन से रायल्टी की दर तो 491 रुपये निर्धारित है इसमें भी लोडिंग करके देना होता है लेकिन रेत घाट में रायल्टी पर्ची मांगने पर एक हजार रुपये और बिना रायल्टी पर्ची के 500 रुपये देकर रेत ले जाई जाती है और लोडिंग भी स्वयं को करना है। इस कार्य में लगे ट्रैक्टर चालकों की मानें तो एक दिन में एक ही रायल्टी पर्ची पर दिन भर रेत ढोते हैं। हर ट्रिप के लिए अलग-अलग पर्ची दी ही नहीं जाती। और 491 की जगह 2500 से 3000 वसूला जा रहा है।

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