शिक्षक – स्वास्थ्य विभाग विवाद में ट्विस्ट, शिक्षक पर महिला को परेशान करने का आरोप
एक्टिव सर्विलेंस की आड़ लेकर बैंक मैनेजर से छेड़छाड़ का आरोप, विरोध पर शिक्षक अब कर रहे राजनीति
कोरबा 04 जून। कोरबा में जहां एक ओर शिक्षक तमाम जोखिमो को उठाकर जिले को कोरोना मुक्त करने विशेष अभियान के तहत लोगो की सेवा में जुटे हुए है वहीं दूसरी ओर यहां एक शिक्षक ऐसा भी है जो लोगो को परेशान करने की नीयत लिए बैठा है। शिक्षक ने पहले तो एक्टिव सर्विलेंस की आड़ लेकर महिला का मोबाइल नंबर हासिल किया उसके बाद महिला को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। महिला ने जब विरोध करते मामले की शिकायत की तो समझाइश देने वाले अधिकारी के खिलाफ ही अब जमकर राजनीति की जा रही है।
मामला कोरबा के दर्री थाना क्षेत्र का है। यहां करीब 15 दिन पहले एक बैंक मैनेजर महिला के परिवार में तीन लोग कोरोना पॉजिटिव आ गए। शिक्षक एक्टिव सर्विलेंस के तहत आदिवासी महिला के घर पहुंचा। यहां उसने बड़ी ही चतुराई से संक्रमित पिता के नंबर के साथ ही महिला व उसकी बड़ी बहन का नंबर हासिल कर लिया। शिक्षक इस बीच लगातार महिला से उसके स्वास्थ्य जानकारी लेने के बहाने रोज देर तक इधर उधर की बात करता। ये न तो शिक्षक की ड्यूटी थी, न उसकी जिम्मेदारी। लेकिन वो न जाने किन मंसूबो के तहत महिला को अमूमन हर रोज फोन करता रहा। कभी 16 मिनट तो कभी 10 मिनट से अधिक उसको कॉल कर परेशान करता रहा। महिला में विरोध किया तो शिक्षक ने कॉल करना तो बंद कर दिया लेकिन उसने महिला का पीछा नहीं छोड़ा। परिवार में सदस्यों के ठीक होने पर जब 11 दिन बाद महिला 25 मई को बैंक पहुंची तो यहां भी उसके पीछे पहुंच गया। उसने इस दौरान महिला से बदसलूकी करते उसको अपमानित किया।
महिला ने मामले से जुड़ी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी से साझा करते उन्हें लिखित शिकायत दी जिसके बाद अधिकारी ने सख्त लहजे में शिक्षक को समझाईश देते दुबारा कॉल न करने की सलाह दी। कॉल पर शिक्षक ने मामले में अपनी गलती स्वीकार करते माफी भी मांगी। सबको लगा मामला यहीं लर खत्म हो गया लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ बल्कि यहीं से मामले में राजनीति शुरू कर दी गई। शिक्षक ने अपने संघ से जुड़े पदाधिकारियों को मामले से जुड़ी आधी सच्चाई बता राजनीति शुरू करा दी। अधिकारी के समझाइश के लहजे को आधार बना उस पर कार्रवाई की मांग करने लगे। लेकिन न तो शिक्षक ने संघ के लोगो को बताया कि आखिर वो कौन सी वजह थी जो एक्टिव सर्विलेंस के बहाने शिक्षक छेड़छाड़ की नीयत रखने लगा। ऐसी कौन सी वजह थी जो शिक्षक महिला के बैंक शाखा पहुँच गया और किस अधिकार से उसने महिला का अपमानित किया। संघ पदाधिकारियों को भी अपने साथी शिक्षक के साथ हुए कथित दुर्व्यवहार का दर्द है लेकिन उनको उस महिला के आत्मसम्मान की बिल्कुल परवाह नहीं जिसको शिक्षक ने सार्वजनिक रूप से अपमानित किया है सिर्फ इस वजह से क्योंकि महिला शिक्षक से बात नहीं करना चाह रही थी। महिला शिक्षक से बात करे भी तो आखिर क्यों ? इस मामले ने पूरी ईमानदारी के साथ कार्य कर रहे शिक्षकों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने का कार्य किया है।
हमारे पास शिक्षक के खिलाफ की गई शिकायत की कॉपी मौजूद है लेकिन हम शिक्षक पद की गरिमा का ध्यान रखते उसके नाम को नहीं प्रकाशित कर रहे है क्योंकि ऐसा करने से कई ईमानदार शिक्षकों का मनोबल टूटेगा। लेकिन यह सोचना उन संघ के पदाधिकारियों का भी कर्तव्य है कि आखिर वो किसका साथ दे रहे है और क्यों ? क्या शिक्षक संघ उस महिला बैंक अधिकारी से मुलाकात करेगा और मामले में अपने शिक्षक की गलती पाए जाने पर उसके विरुध्द आवश्यक कार्रवाई करते उसकी सदस्यता समाप्त करेगा। साथ ही शिक्षा विभाग को भी चाहिए कि पूर्ण समर्पण से कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित करें लेकिन पेशे को बदनाम करने वाले शिक्षकों के विरुध्द कार्रवाई भी सुनिश्चित करे।