मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना : वृक्षारोपण के लिए वन विभाग से मुफ्त में मिलेंगे पौधे, दस हजार रूपए की सहायता भी मिलेगी
जिला पंचायत सीईओ ने सफल क्रियान्वयन के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाने दिए निर्देश
कोरबा 01 जून 2021. प्रदेश में वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना आज से शुरू हो गई है। योजना के तहत आमजन अपनी निजी भूमि पर, किसान अपने खेतों में और ग्राम पंचायतों तथा संयुक्त वन प्रबंधन समितियां राजस्व भूमि पर वृक्षारोपण कर सकेंगे। वृक्ष लगाने के लिए पौधों को निःशुल्क वितरण उपलब्धता अनुसार वन विभाग द्वारा किया जाएगा। इसके साथ ही सफल वृक्षारोपण के लिए दस हजार रूपए प्रति एकड़ के मान से प्रोत्साहन राशि भी शासन द्वारा दी जाएगी। इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए आज जिला पंचायत के सीईओ श्री कुंदन कुमार ने कृषि, उद्यानिकी, सहकारिता, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। जिला पंचायत सभा कक्ष में आयोजित इस बैठक में श्री कुमार ने अगले दो दिनो में इस योजना के लिए ग्रामवार, किसानवार सर्वे करने और विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। बैठक में कोरबा वनमण्डल की वनमण्डलाधिकारी श्रीमती प्रियंका पाण्डेय भी मौजूद रहीं।
बैठक में डीएफओ श्रीमती पाण्डेय ने बताया कि निजी क्षेत्र, किसानों, शासकीय विभागों एवं ग्राम पंचायतों की भूमि पर इमारती-गैर इमारती प्रजातियों के वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य लेकर यह योजना शुरू की गई है। वृक्षारोपण से किसानों की आय बढ़ाने में भी यह योजना कारगर सिद्ध होगी। उन्होनंे बताया कि गैर वनीय क्षेत्रों मे किसानों को धान के बदले इमारती-गैर इमारती, फलदार वृक्ष, बांस एवं लघु वनोपज तथा औषधीय पौधों का वृक्षारोपण करने पर प्रति एकड़ दस हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। श्रीमती पाण्डेय ने बताया जिन किसानों ने खरीफ वर्ष 2020 में धान की फसल ली हो, यदि वे धान की फसल के बदले अपने खेतों में वृक्षारोपण करते हैं तो उन्हें आगामी तीन वर्षों तक प्रतिवर्ष दस हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। योजना का लाभ लेने के लिए छत्तीसगढ़ के सभी नागरिक निजी भूमि की उपलब्धतानुसार तथा सभी ग्राम पंचायतें एवं संयुक्त वन प्रबंधन समितियां पात्र होंगे। वनमण्डलाधिकारी ने बताया कि वन अधिकार मान्यता पत्र से मिले पट्टे वाले भूमि पर भी हितग्राहियों की सहमति से इमारती, फलदार, बांस, लघुवनोपज एवं औषधीय पौधों का रोपण किया जा सकेगा। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए रोपण के छह माह के भीतर संबंधित वन परिक्षेत्र कार्यालय में पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। ग्राम पंचायतों एवं संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के पास उपलब्ध राशि से यदि वाणिज्यिक वृक्षारोपण किया जायेगा तो एक वर्ष बाद सफल वृक्षारोपण की दशा में संबंधित ग्राम पंचायतों एवं संयुक्त वन प्रबंधन समितियों को शासन की ओर से दस हजार रूपए प्रति एकड़ की दर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
श्रीमती पाण्डेय ने बताया कि मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना अंतर्गत जिन किसानों ने खरीफ 2020 में धान की फसल ली हो तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए विधिवत पंजीयन कराया हो तथा धान बेचा हो, ऐसे किसानों को धान के बदले अपने खेतों में वृक्षारोपण करने पर आगामी तीन वर्षों तक दस हजार रूपए प्रति एकड़ प्रतिवर्ष की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। किसान के द्वारा किए गए वृक्षारोपण के साथ इन्टरक्राॅपिंग में धान को छोड़कर अन्य फसल ली जा सकेगी। योजनांतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों को निर्धारित समयावधि में संबंधित पोर्टल में पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। अपंजीकृत किसानों को योजनांतर्गत प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने की पात्रता नहीं होगी। कृषि एवं राजस्व विभाग के अमले द्वारा पंजीकृत रकबे का सत्यापन किया जाएगा। वृक्षारोपण के लिए पौधों की प्रजाति चुनने और अन्य जरूरी तकनीकी मार्गदर्शन वन विभाग द्वारा दिया जाएगा। निर्धारित राशि प्रति एकड़ की दर से किसानों के खाते में डीबीटी के माध्यम से सीधे भुगतान की जाएगी।
वनमण्डलाधिकारी ने बताया कि ग्राम पंचायतों द्वारा सामुदायिक एवं शासकीय गैर वनीय क्षेत्रों में वाणिज्यिक वृक्षारोपण करने पर भी प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह राशि एक वर्ष बाद सफल वृक्षारोपण की दशा में दस हजार रूपए प्रति एकड़ होगी जिससे भविष्य में पंचायतों की आमदनी बढ़ेगी। इसी तरह संयुक्त वन प्रबंधन समितियों द्वारा राजस्व भूमि पर वृक्षारोपण पर भी दस हजार रूपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। ग्राम पंचायतों और वन प्रबंधन समितियों द्वारा किए गए वृक्षारोपण का प्रतिवर्ष अप्रैल माह में निरीक्षण होगा और 80 प्रतिशत रोपित पौधे जीवित पाए जाने पर ही प्रोत्साहन राशि की पात्रता होगी। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए जिले के सभी वन परिक्षेत्र अधिकारी कार्यालयों और कोरबा स्थित वनमण्डलाधिकारी कार्यालय से भी संपर्क किया जा सकता है।