कोरबा : प्रशासनिक असंवेदनशीलता ने ली एक और शिक्षक की जान

कोरबा/पाली। कोरबा में प्रशासनिक असंवेदनशीलता ने जिले के एक और शिक्षक की जान ले ली है। परसराम रात्रे, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नोनबिर्रा, विकासखंड – पाली, जिला कोरबा में व्याख्याता के पद पर पदस्थ थे। अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पाली के आदेश का पालन करते हुए व्याख्याता परसराम रात्रे लक्षणात्मक मरीजों की पहचान कर उनकी सैंपलिंग कराने के लिए डोर टू डोर सर्वे करते हुए संक्रमित हो गए तथा ईएसआईसी हॉस्पिटल कोरबा में 24 मई को इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई । प्राप्त जानकारी अनुसार जिला प्रशासन की ओर से उन्हें किसी भी प्रकार का सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराया गया था, जो की अधिकारियों की घोर लापरवाही व अमानवीय व्यवहार को दर्शाता है।

वहीं शिक्षकों का आरोप है कि जिला प्रशासन द्वारा शिक्षकों की फ्रंट लाइन में ड्यूटी लगाई जा रही है । परंतु उन्हें मूलभूत सुरक्षा सामग्री जैसे मास्क व सैनिटाइजर भी उपलब्ध नही कराया जा रहा है। इतना ही नहीं फ्रंटलाइन वर्कर होने के पश्चात भी अनेकों शिक्षकों को वैक्सीन तक नहीं लगाई जा रही है। कई शिक्षकों की ड्यूटी कोरोना जाँच केंद्र व टीका केंद्रों में होने के पश्चात भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा तरह-तरह के बहाने बनाकर शिक्षकों को टीकाकरण से वंचित रखा जा रहा है। शिक्षकों ने बताया कि कुछ शिक्षकों ने स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों से विवाद कर कुछ दिन पहले टिका तो लगवाया परंतु अभी भी जिले में अनेक शिक्षक हैं जिन्हें टीकाकरण से वंचित रखा जा रहा है।

बता दें कि कुछ दिन पहले ही विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा में अधिकारियों की लापरवाही के कारण एक दिव्यांग शिक्षक सधवा कुमार बंजारे की भी असमय मृत्यु हो गई थी। मृतक बंजारे 60 प्रतिशत दिव्यांग थे जिसके बाद भी जिला प्रशासन द्वारा उनकी कोरोना सर्वे में ड्यूटी लगाई गई थी। ड्यूटी के दौरान वह संक्रमित हो गए थे और कुछ दिनों पश्चात बिलासपुर में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी।

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