देवू कंपनी की रिस्दी में अधिग्रहित जमीन किसानों को लौटाए प्रदेश सरकार-श्यामलाल मरावी
कोरबा 22 मई। भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष श्यामलाल मरावी ने जारी बयान में कहा है कि बस्तर के लोहंडीगुड़ा की जमीन किसानों को जिस तरह से वापस की गई ठीक उसी तरह देवू कंपनी की रिस्दी में अधिग्रहित जमीन किसानों को लौटाकर प्रदेश सरकार नीति व नीयत एक समान रखे।
कोरोना की रोकथाम के लिए घोषित लॉकडाउन में रिस्दी का मामला जरूरी कैसे हो गयाघ् जबकि कई काम लॉकडाउन से पेडिंग पड़े हैं। लेकिन रिस्दी की अधिग्रहित जमीन के मामले में प्रशासन ने इतनी तत्परता कैसे दिखाई यह जमीन का घोटाला करने वालों का षडयंत्र है, जबकि यह मामला प्रशासन का नहीं था। सिर्फ प्रदेश सरकार के समभाव व समदर्शी होने का था। बता दें कि करीब 27 साल पहले साउथ कोरिया की कंपनी देवू ने कोरबा के रिस्दी में 1000 मेगावाट पावर प्लांट बनाने का करार सरकार से किया। इसके लिए करीब 500 एकड़ जमीन की जरूरत बताई गई। रिस्दी के 156 किसानों की 260 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई, लेकिन यहां पावर प्लांट बनना तो दूर कंपनी ने अपना साइनबोर्ड लगाने के लिए एक खंभा तक नहीं लगाया।
इसी तरह रिस्दा की 12.89 एकड़, पंडरीपानी की 4.83 एकड़ व कुरुडीह की 15.35 एकड़ किसानों की जमीन चिन्हांकित की गई। वहीं 250 एकड़ जमीन शासकीय भी इस प्लांट के लिए लेनी थी। इसमें से सिर्फ रिस्दी की जमीन ही अधिग्रहित की। मरावी का कहना है कि बिजली प्लांट खुलने के इंतजार में लोगों की उम्र ही बीत गई है। उस समय जो मुआवजा मिला थाए वह भी खत्म हो गया। नौकरी भी नहीं मिली। खुद की जमीन अब उनकी नहीं है। ऐसे में मजदूरी कर कई परिवार घर चला रहे हैं। अगर समय रहते पावर प्लांट नहीं लगाने की वजह कंपनी का दिवालिया होना है तो इसमें किसानों का क्या कसूर है।