देवू पॉवर: हाईकोर्ट का क्या है आदेश? आइये यहां पढ़ें
कोरबा 18 मई। देवू पावर इंडिया लिमिटेड के पॉवर प्लांट के लिए अर्जित भूमि को लेकर कम्पनी और रिसड़ा गांव के किसान आमने- सामने हैं। इस बीच मामले में हाईकोर्ट के आदेश की चर्चा भी सुनने में आई। कथित सीमांकन बनाम किसानों की बेदखली और देवू के कब्जा लेने के कथित प्रयास के बीच हाईकोर्ट का आदेश क्या है? यह भी जानना जरूरी है। आइये हाईकोर्ट में प्रस्तुत देवू पॉवर के आवेदन पत्र और हाईकोर्ट के आदेश के बारे में जानते हैं-
दिनाँक 24 फरवरी 2021 को उच्च न्यायालय के सामने याचिकाकर्ता कंपनी देवू पॉवर इंडिया लिमिटेड ने एक आवेदन पत्र प्रस्तुत कर बिन्दुवार निवेदन किया, जो इस प्रकार है-
- प्रदेश सरकार को यह निर्देशित किया जाए कि वह किए गए वादा के अनुसार 499 एकड़ शासकीय भूमि को, जस्टिस बी सी वर्मा द्वारा दिये गए दिशा निर्देश के अनुसार, कंपनी को हैंड ओवर करें।
- राज्य सरकार जल्द से जल्द भूमि का नामांतरण कर कंपनी को सुपुर्द करें और 260 एकड़ भूमि जो कंपनी हेतु पहले से ही अधिग्रहित की गई है, उसका भी नामांतरण कर कब्जा कंपनी को जल्द से जल्द सौंपे।
- राज्य सरकार जनहित में सबंधित भूमि का पावर प्लांट की जगह इंडस्ट्रियल और रेसीडेंशियल उपयोग करने की अनुमति प्रदान करे।
- सुप्रीम कोर्ट और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार अनैतिक तौर पर रोकी गई सुरक्षा निधि को जल्द से जल्द ब्याज सहित भुगतान करें अथवा कंपनी द्वारा किए जाने वाले भुगतान में समाहित करे।
- न्यायालय, राज्य सरकार को ऐसा निर्देश जारी करें जो वर्तमान परिस्थितियों को नजर में रखते हुए और जनहित में उच्च न्यायालय को उचित लगे।
याचिकाकर्ता की ओर से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता वी के तनखा के साथ अन्य अधिवक्ताओं ने न्यायालय में उपस्थित होकर देवू पॉवर के पक्ष में तर्क दिए।
छत्तीसगढ़ शासन की ओर से उच्च न्यायालय में शासकीय अधिवक्ता अयाज नावेद पेश हुए। राज्य सरकार द्वारा उच्च न्यायालय में यह दलील दी गई की चूंकि मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए इस विषय पर राज्य सरकार उच्च न्यायालय के निर्देश अनुसार ही कोई कार्यवाही कर सकती है। उक्त विषय में राज्य सरकार और कैबिनेट के द्वारा किसी भी प्रकार का निर्णय माननीय उच्च न्यायालय के आदेश व निर्देश के अनुसार ही वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिया जावेगा।
राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद उच्च न्यायालय के जस्टिस मा. प्रशांत मिश्रा ने 24 फरवरी 2021 के अपने आदेश में कहा कि वर्तमान में यह प्रतीत नहीं होता की याचिकाकर्ता कंपनी के द्वारा राज्य सरकार के समक्ष इस विषय में अपना पक्ष रखा गया है। उच्च न्यायालय ने कंपनी को 4 सप्ताह का समय देते हुए अपना पक्ष राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने निर्देशित किया। इस मामले की अगली सुनवाई 3 मई के पश्चात करने का आदेश उच्च न्यायालय ने दिया।
आइये उच्च न्यायालय का आदेश देखें-