देवू पॉवर कोरबा: कहीं ₹ आठ सौ करोड़ का खेला तो नहीं हो रहा?
कोरबा 17 मई। पच्चीस साल बाद देवू पॉवर का जिन्न सहसा नमूदार हुआ है। राजस्व विभाग अब रिसदी और आस पास की 759 एकड़ जमीन का सीमांकन कर रहा है। रिसदी के किसान और बाशिन्दे भड़के हुए हैं। वे मौके पर विरोध कर रहे हैं। मगर प्रशासन के आगे पंगु हैं। भाजपा और माकपा सहित वामपंथी किसान सभा ग्रामीणों की तरफदारी कर रहे हैं, लेकिन भूमि का सीमांकन रुकना तो दूर मौके पर जारी उपक्रम से ऐसा प्रतीत होता है कि देवू पॉवर जमीन का आधिपत्य हासिल कर रहा है।
इस फिल्मी जैसी कहानी की शुरुआत 1997 में हुई। साऊथ कोरिया की मल्टीनेशनल कंपनी देवू की भारतीय कम्पनी ने पॉवर प्लांट लगाने के लिए रिसदी में स्थल चयन क्या। यहां 499 एकड़ शासकीय भूमि और 260 एकड़ निजी भूमि पर प्लांट लगाने की योजना बनी। किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई। मगर योजना के परवान चढ़ने के पहले ही विश्व प्रसिद्ध कंपनी देवू दिवालिया हो गई। आने वाले दिनों में देवू की उपस्थिति शून्य हो गई। किसान अपनी जमीनों का यथावत उपयोग करते रहे। बीते करीब 25 वर्षों से किसान अपनी जमीन पर पूर्ववत रोजी रोटी कमा रहे हैं। याद रहे कि रिसदी की भूमि का 25 साल पहले जब अधिग्रहण किया गया था तब इसका मूल्य दो से तीन लाख रुपये एकड़ था, लेकिन वर्तमान में यहां की जमीन का बाजार मूल्य एक करोड़ रुपये एकड़ हो चुका है।
इधर तीन दिन पहले देवू एकाएक रिसदी में प्रगट होता है। साथ में दिखता है जिले का राजस्व अमला। कहा जाता है- भूमि का सीमांकन किया जा रहा है। मगर वास्तव में डोजर से खेतों की मेड़ काटकर समतलीकरण और प्रकारान्तर में स्वरूप परिवर्तन किया जाने लगता है। अभी तो एक्सीवेटर से जमीन खोदकर बार्डर भी बनाया जा रहा है। कोरबा तहसीलदार सुरेश कुमार साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के लिए स्टेट्स रिपोर्ट दी जानी है। मगर इस सम्बंध में राज्य सरकार से कोई भी आदेश जारी नहीं होने की जानकारी भी उन्होंने दी।
दूसरी ओर देवू और राजस्व विभाग की कार्रवाई का प्रभावित किसान विरोध कर रहे हैं। भाजपा, माकपा और किसान सभा भी उनके पक्ष में आ डटा है। सभी एक स्वर में, राज्य सरकार से, बस्तर की तरह देवू की जमीन वापस लेकर किसानों को दिलाने की मांग कर रहे हैं।
इस बीच शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म है। आशंका व्यक्त की जा रही है कि पॉवर प्लांट नहीं लगाने के बाद भी अधिग्रहित की गई शासकीय और निजी भूमि पर कब्जा का प्रयास किसी खास मकसद से किया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि प्रदेश का कोई नेता देवू पॉवर इंडिया लिमिटेड से गोपनीय समझौता कर 800 करोड रुपयो का खेला करने का प्रयास कर रहा है? यह भी पता चला है कि उक्त भूमि का पॉवर प्लांट के लिए निर्धारित उपयोग को बदल कर अन्य प्रयोजन हेतु अनुमति दिलाने की भी शर्त उक्त डील में शामिल है? बहरहाल सच्चाई चाहे जो हो मामले ने तूल पकड़ लिया है।