लॉकडाउन: व्यापारी जन प्रतिनिधियों के शहर में खुद को प्रताड़ित मान रहे व्यापारी, यह सुविधा नहीं, छलावा है- रामसिंह अग्रवाल
कोरबा 16 मई। ऊर्जा नगरी कोरबा, व्यापारियों का शहर है। यहां के प्रमुख जनप्रतिनिधि मूलतः व्यापारी हैं। बावजूद इसके, कोरोना महामारी के इस दौर में लॉकडाउन के तौर-तरीकों से शहर के व्यापारी स्वयं को प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं। उनमें आंतरिक गुस्सा भी है।
कोरबा छत्तीसगढ़ का प्रमुख औद्योगिक शहर है। इसी वजह से यह व्यापारियों का शहर भी कहा जाता है। संयोग से कोरबा शहर के जन प्रतिनिधि भी व्यापारी वर्ग से हैं। मूलतः ठेकेदार जयसिंह अग्रवाल शहर विधायक और प्रदेश में राजस्व मंत्री हैं। ठेकेदार राजकिशोर प्रसाद नगर के महापौर हैं। ठेकेदार श्याम सुन्दर सोनी नगर निगम के सभापति हैं। गत वर्ष से देश और प्रदेश के साथ कोरबा भी कोविड-19 से जूझ रहा है। पिछले वर्ष लम्बे समय तक शहर सहित जिले में सख्त लॉकडाउन था। अभी गत माह से फिर लॉकडाउन किया गया है। व्यापारियों का कहना है कि पिछले दौर में भी अव्यवहारिक आदेशों के कारण व्यापारी वर्ग खुद को प्रताड़ित अनुभव करता था और वर्तमान में भी प्रताड़ित महसूस कर रहा है।
एक व्यापारी ने कहा- हमारी बात सुनने और शासन- प्रशासन तक पहुंचाने वाला कोई नहीं है। गरीबों, मजदूरों, किसानों, आटो-टैक्सी वालों को तो मुफ्त राशन मिल रहा है। कई तरह की सहायता मिल रही है। लेकिन टैक्स देकर शासन का खजाना भरने वाले व्यापारी बर्बाद हो गए हैं। हमारे बारे में कोई नहीं सोचता।
दूसरे व्यापारी ने कहा- महराज जी, नाम मत छापना। मरना हो जाएगा। हमारे विधायक -महापौर भी व्यापारी हैं। लेकिन उन्हें हमारी कोई चिंता नहीं है। एक माह से जिले में लॉकडाउन है। कभी कोरोना प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करने की शर्त पर भी व्यापारियों को व्यवसाय की अनुमति दिलाने का प्रयास किसी ने नहीं किया। 17 मई से तीसरी बार लॉकडाउन लागू हो रहा है। राजधानी रायपुर सहित पूरे प्रदेश में सभी व्यवसायों को सशर्त खोलने की अनुमति मिल गई है। मगर कोरबा में मामूली धंधों को छोड़कर सब कुछ लॉक रखा गया है। यही हाल रहा तो व्यापारी दाने- दाने को मोहताज हो जाएंगे।
जिला चेम्बर ऑफ कॉमर्स एन्ड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष रामसिंह अग्रवाल ने कहा कि- 17 मई से शुरू लॉकडाउन में आम जनता को कोई सुविधा नहीं मिली है। यह आदेश एक छलावा है। जबकि राज्य सरकार की गाइड लाइन में सभी व्यापारियों का पूरा- पूरा खयाल रखा गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के स्पष्ट निर्देश के अनुरूप कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सभी वर्गों को व्यापार करने की अनुमति अन्य जिलों में दी गई है। लेकिन कोरबा में व्यापारियों की रोजी रोटी पर ताला जड़ दिया गया है। इससे व्यापारियों में रोष है, मगर शासन- प्रशासन के आदेशों के तहत वह अपना पक्ष रखने की भी स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरबा जिला प्रशासन का आदेश भारी विसंगतिपूर्ण है। आदेश में प्लम्बर, इलेक्ट्रिशियन को काम की अनुमति दी गई है, पर संबंधित दुकानें बंद रहेंगी। ए सी, पंखे, कूलर की दुकानें बन्द रहेगीं, कारीगरों को काम की अनुमति है। निर्माण कार्य हो सकते हैं, पर उसमें प्रयुक्त सामानों की दुकानें बंद रहेंगी। सवाल ये है कि जब सामान ही नहीं मिलेगा तो कोई कारीगर, मजदूर, प्लम्बर, इलेक्ट्रिशियन काम क्या करेंगे? धूप और पावर के चश्मा की दुकान भी खुली रहनी चाहिए, पर यहां शुरू से बंद हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण मंहगाई चरम पर पहुंच गई है। सभी व्यवसाय शुरू हो जाने पर मंहगाई भी कम होगी और आम जनता को राहत मिलेगी। उन्होंने जिला प्रशासन से राजधानी रायपुर की तरह ही कोरबा में भी कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराते हुए सभी तरह के व्यापारों को समय सीमा में व्यवसाय की छूट देने की मांग शासन- प्रशासन से की है।