विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नहीं बताया बी.1.617 वायरस को कोरोना का ‘भारतीय वैरिएंट’
नईदिल्ली 13 मई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी रिपोर्ट में कहीं भी ‘बी.1.617’ वैरिएंट के साथ ‘भारतीय वैरिएंट’ नहीं लिखा है। ऐसी सभी मीडिया रिपोर्ट्स जिनमें इसे भारतीय वैरिएंट कहा गया है, सब निराधार और बेबुनियाद हैं। मंत्रालय ने कहा है कि डब्ल्यूएचओ ने अपने 32 पृष्ठ के दस्तावेज में कोरोना वायरस के ‘बी.1.617’ वैरिएंट के साथ ‘भारतीय वैरिएंट’ शब्द नहीं जोड़ा है। इस पूरे मामलें से जुड़ी रिपोर्ट में कहीं भी “भारतीय” शब्द का उपयोग नहीं किया गया है।
दरअसल, कुछ दिन पहले कोरोना पर डब्ल्यूएचओ की प्रमुख मारिया वान केरखोव ने इस वैरिएंट के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने इसके बारे में बताया कि छोटे सैंपल साइज पर हुई स्टडी में पता चला है कि ‘बी.1.617’ वैरिएंट पर एंटीबॉडीज का असर कम हो रहा है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इस वैरिएंट में वैक्सीन के प्रति ज्यादा प्रतिरोधक क्षमता है।
डब्ल्यूएचओ ने भारत में मिल रहे कोरोना के नए ‘बी.1.617’ स्ट्रेन को वैरिएंट ऑफ कंसर्न कहा था, यानि वो वैरिएंट जो ज्यादा संक्रामक लग रहा हो और आसानी से फैल सकता हो। इसके बाद कुछ मीडिया संस्थान इसे ‘भारतीय स्ट्रेन’ कहने लगे, लेकिन अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि डब्लूएचओ ने ‘बी.1.617’ स्ट्रेन के लिए अपनी रिपोर्ट में कहीं भी ‘भारतीय’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है।
देशों के नाम के साथ वायरस या वैरिएंट की पहचान नहीं करते हैं
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ट्वीट करते हुए लिखा, “डब्ल्यूएचओ उन देशों के नामों के साथ वायरस या वैरिएंट की पहचान नहीं करता है, जिनसे वह पहले रिपोर्ट किए गए हैं। हम उन्हें उनके वैज्ञानिक नामों से संदर्भित करते हैं और सभी से ऐसा करने का अनुरोध करते हैं।”
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, कोरोना का वैरिएंट ‘बी.1.617’ दुनिया के 44 देशों में डिटेक्ट किया गया है। ये सभी देश विश्व स्वास्थ्य संगठन के सभी 6 रीजन में स्थित हैं। बता दें, भारत में यह ‘बी.1.617’ वैरिएंट अक्टूबर में पाया गया है और यह आसानी से फैल सकता है। इसे पहले वाले वैरिएंट से ज्यादा संक्रामक माना जा रहा है।