सूत्र पटल@ शरद बिल्लोरे

प्रस्तुति- सरीता सिंह
शरद बिलोरे का निधन 3 मई 1980 को हुआ था और उसके 2 वर्ष पश्चात प्रगतिशील लेखक संघ राजेश जोशी और कुछ मित्रों के प्रयास से भगवत रावत जी आदि के प्रयास से उनकी कविताओं को प्रकाशित किया गया । वह जिस वक्त नौकरी करते थे 1980 में उनकी नौकरी लगी थी और वह अरुणाचल प्रदेश चले गए थे । वहां से जब वह अपने घर इटारसी के पास रहटगांव में लौट रहे थे तो कटनी के पास उन्हें लू लग गई। कटनी स्टेशन पर उन्हें ट्रेन से उतार के अस्पताल में भर्ती किया गया लेकिन बच नहीं पाए । अंतिम समय में कोई भी उनके करीब नहीं था । फिर भगवत रावत जी के प्रयास से उनकी देह को उनके घर पहुंचाया गया ।
उनका सामान लाने के लिए उनकी एक जूनियर राजेश तिवारी अरुणाचल प्रदेश और उनका सामान लाकर भगवत भगवत रावत जी को सौंप दिया।
भोपाल के मित्रों के प्रयास से उनका कविता संकलन तय तो यही हुआ था प्रकाशित हुआ। इस पर पाठक मंच में भी चर्चा हुई। मध्य प्रदेश साहित्य परिषद के अंतर्गत । लेकिन उसके बाद फिर शरद बिलोरे को भुला दिया गया ।
शरद बिल्लौरे मेरे कॉलेज में पढ़ते थे । मुझसे अच्छी मित्रता भी थी । मुझे ही काफी समय बाद पता चला उनके निधन का क्योंकि मैं छत्तीसगढ़ में नौकरी करने आ गया था फिर कॉलेज के बाद कभी मुलाकात हो नहीं पाई। लेकिन अब मैं उनके जन्मदिन और उनके स्मृति दिन यानी पुण्यतिथि पर नियम से उनकी कविताएं मित्रों को भेजता हूं । अपने मित्र को याद करता हूं ।
उनकी कविता की रचना प्रक्रिया का मैं प्रत्यक्ष गवाह रहा हूं और इन कविताओं को कुछ दूसरी तरह से भी समझता हूं जो शायद कोई सामान्य पाठक न समझ पाए ।
शरद कोकास
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