कोरोना इफेक्टः रोजगार मेला निरस्त
कोरबा 24 मार्च। भले ही उम्मीद के मुताबिक वेतन वाले रोजगार की व्यवस्था ना हो सके, फिर भी व्यस्त होने के लिए कोई ना कोई विकल्प बेरोजगार वर्ग तलाश ही रहा है। ऐसे युवाओं की आस कोरोना संक्रमण के चलते टूट गई। 24 मार्च को आयोजित किये जाने वाले रोजगार मेला को निरस्त कर दिया गया है।
जानकारी के अनुसार कोरबा और आसपास के 10 से अधिक नियोक्ता इस मेला में पहुंचने वाले थे। इस बारे में उन्होंने जिला रोजगार और परामर्श केंद्र को अवगत कराया था। उक्तानुसार तैयारी की जा रही थी। इसके साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में सूचना भिजवाने के साथ डिग्री धारकों को अवगत कराया जा रहा था। फायर सेफ्टी, कंप्यूटर के साथ-साथ अन्य क्षेत्र में रोजगार के मौके के लिए भर्तियां हो सकती है, इसे लेकर प्रयास चल रहे थे। इससे ठीक पहले रोजगार परामर्श केंद्र ने स्पष्ट कर दिया कि अगली तिथि तक के लिए रोजगार मेला को निरस्त किया जा रहा है। बताया गया कि कोरबा और विभिन्न क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण की रफ़्तार बढ़ रही है। नए प्रकरण भी आ रहे हैं। इन सब कारणों से खतरों का विस्तार संभावित है। जानबूझकर दिक्कतों को नहीं बढ़ाया जा सकता। इसलिए रोजगार मेला का आयोजन आगामी दिनों में स्थिति की समीक्षा करने के साथ किया जाएगा। रोजगार मेला का आयोजन एक पखवाड़ा पहले भी किया गया था जिसमें 300 से अधिक पद के लिए केवल 100 लोग ही पहुंचे थे। इससे एक बात साफ हुई कि पढ़े-लिखे युवाओं में निजी के बजाय सरकारी नौकरी का क्रेज बना हुआ है।
रोजगार विभाग इस बात को स्वीकार करता है कि सरकारी सेक्टर में हर तरह की सामाजिक सुरक्षा बनी हुई है। लगातार अच्छे अवसर की प्राप्ति होती रहती है। विपरित परिस्थितियों में भी सेवा शर्तों पर कोई असर नहीं पड़ता और जॉब सेक्यूरिटी बनी रहती है। इसके ठीक उल्टे निजी क्षेत्र में वेतन के नाम पर नाममात्र के रूपए देने के साथ कर्मचारियों का शोषण होता है। उपर से दबाव बना रहता है। यही कारण है कि पढ़-लिखकर डिग्री लेने वाला वर्ग हर हाल में सरकारी नौकरी चाहता है।