बैसवारा फाग का आयोजन….झूम उठे लोग….फाग में जमकर थिरके समाज के लोग

बिलासपुर कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज के द्वारा बैसवारा फाग का आयोजन

बिलासपुर 21 मार्च। हर साल की तरह इस बार भी कान्य कुब्ज ब्राह्मण समाज बिलासपुर द्वारा होली मिलन का आयोजन किया गया। ब्राह्मण समाज के लोग होली के अवसर पर पिछले कई दिनों से बैसवारा फाग के गीत गाकर होली का जश्न मना रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के बीच होली गीत का आयोजन अखिलेश शुक्ला तथा राजेश शुक्ला के निवास लाला लाजपत राय स्कूल के सामने किया क्या फाग में आज ब्राह्मण समाज के पदाधिकारी व महिलाएं पुरुष ने बैसवारा भागवत बैसवारा फाग गाकर होली का आनंद लिया और होली के पहले आज खबर गली में रंग गुलाल का माहौल नजर आया कांड को जो ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष राम प्रसाद शुक्ला सचिव अरविंद दीक्षित के अलावा सभी पदाधिकारी आज फाग और होली के गीत में झूमते नजर आए समाज के प्रमुख रमाकांत शुक्ला रघुनाथ दुबे ऐसे कई हस्तियों ने कानपुर ब्राह्मण समाज के इस आयोजन को लेकर जानकारी दी कि बिलासपुर में बैसवारा भाग का आग का आयोजन पिछले कई सालों से किया जा रहा है होली के पहले 1 माह पहले से ही बसंत पंचमी से ब्राह्मण समाज के लोग घर-घर पहुंचकर अपने समाज के बीच होली का आनंद और उत्सव मनाते हैं इस आयोजन में आज महिलाएं व बच्चे भी हिस्सा ले रहे हैं बटवारा भाग का एक अपना अलग महत्व है बैसवारा फाग का अपना एक अलग महत्व है वर्ष में एक बार समाज की एकजुटता के लिए पिछले 50 साल से यागन किया जा रहा है आज के प्लीज होली मिलन कार्यक्रम में समाज के प्रमुख और विधायक शैलेश पांडे नेवी भी फाग गीत गाकर होली के उत्सव में शामिल होकर उत्साह बढ़ाया शैलेश पांडे ने आग भी गाय आज के इस आयोजन में शिवम मिश्रा मनोज शुक्ला विनय दीक्षित सुधीर दुबे सुदेश दुबे अजय तिवारी सुधीर तिवारी स्वप्निल शुक्ला अनिल शुक्ला संदीप बाजपेई राजूवास राजीव अवस्थी पूर्व विधायक प्रकाश बाजपेई राजेश दीक्षित शैलेश दिक्षित के अलावा ब्राह्मण समाज के काफी संख्या में सदस्य में महिला एवं पुरुष इस होली मिलन कार्यक्रम में शामिल हुए। आपको बता दे बसवारा फाग का पुराना इतिहास है कानपुर ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष राम प्रसाद शुक्ला राम प्रसाद शुक्ला ने बताया कि परंपरा जो है यह आंदोलन के पहले स्वतंत्रता आंदोलन 5858 में हुआ था एक बहुत बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश की और आपके साथ अपनी परंपरा ही लेकर आए थे और उस परंपराओं में फाग जो है वह एक बहुत से मजबूत कड़ी है। यह लोगों को जोड़ती है अपने इतिहास से जोड़ती है अपनी परंपराओं से जोड़ती है और यह जो है हमको अपनी जमीन या हमारे जिसको जड़े कहना चाहिए हमको अपने रूठ के साथ जोड़ती है और यह परंपरा जो है हम लोग को निरंतर अभी तक चलाए चले आ रहे हैं और आगे भी यह जारी रहेगा। जैसे छोटे-छोटे बच्चे भी इसमें भाग ले रहे हैं और उत्साह दिखा रहे हैं।

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