घर को जलाने पर तुला घर का चिराग, पुलिस का डर दिखा कर वसूली करने का भी आरोप
कोरबा 8 मार्च। घर को आग लग गयी घर के चिराग से, यह कहावत इन दिनों कोरबा में चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल यहां कोतवाली थाना अंतर्गत एक चावल व्यवसायी का परिवार अपने जुआरी भाई की हरकतों से परेशान है। इस वजह से उनका तो व्यवसाय प्रभावित हो ही रहा है, साथ ही आए दिन उन्हें पुलिस थाने के चक्कर भी लगाने पड़ते हैं। इतना ही नहीं इस व्यवसायी से जुड़े दूसरे व्यापारी भी इस जुआरी भाई की हरकतों से प्रभावित हो रहे हैं।
जानकारी अनुसार कोतवाली थाना अंतर्गत निवासरत गोपाल आदतन जुआरी है। गोपाल के भाई गोविंद व उसके परिजनों के अनुसार अब तक उसने घर के 40 से 50 लाख रुपए जुएं में फूंक दिए हैं। उसके खिलाफ थाना में 4 चेक बाउंस के मामले पंजीबद्ध हैं और वारंट भी जारी हो चुका है। गोपाल का एक पुत्र व एक पुत्री है। पुत्री का विवाह पड़ोसी जिले में हुआ था परन्तु कुछ समय पश्चात वह पुत्री के ससुराल वालों से 15 लाख रुपए लेकर पुत्री को वापस अपने घर ले आया। वहीं गोपाल के पुत्र की मुड़ापार क्षेत्र में दुकान संचालित थी। गोपाल ने उक्त दुकान का भी सवा लाख रुपए लेकर हिसाब- किताब चुकता कर दिया और दुकान का शटर गिर गया।
बता दें कि गोपाल के भाई गोविन्द की कोतवाली थाना अंतर्गत किराना की दुकान है। इन दिनों गोपाल द्वारा अपने भाई की दुकान के सामने बैठकर आने-जाने वाले लोगों व ग्राहकों को अनावश्यक परेशान किया जा रहा है। गोपाल इस किराना दुकान से चावल खरीदने वालों की शिकायत कोतवाली पुलिस से यह कहकर करता है कि सरकारी चावल की अफरा-तफरी की जा रही है। जब पुलिस द्वारा मौके पर जांच की जाती है तो इस तरह का कोई मामला नहीं होता, लेकिन गोपाल की हरकतों से किराना व्यवसायी, उनके भाई सहित पूरा परिवार परेशान हैं। कई बार तो किराना व्यवसायी द्वारा मंगाए गए चांवल के ट्रक को पुलिस में शिकायत कर जप्त करवा दिया जाता है।
परिजनों के अनुसार, गोविंद के कारोबार से जुड़े व्यवसायी भी परेशान हैं जिनकी गोपाल जासूसी करवाकर, आए दिन किसी न किसी बहाने व तरीके से परेशान कराता है। गोपाल द्वारा खुद को पुलिस का मुखबिर बताते हुए क्षेत्र के व्यवसाइयों को पुलिस का डर दिखाकर पैसे देने के लिए दबाव बनाया जाता है। बहरहाल परिवार के लोगों ने कई बार गोपाल को समझाने का प्रयास किया, लेकिन गोपाल अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। परिवार के लोग बताते हैं कि जुआ खेलने की लत को पूरा करने के लिए वह जेवरात एवं संपत्ति को भी बेचकर रुपये ले आता है।