महिला समूहों द्वारा हर्बल गुलाल तैयार कर होली पर्व को खुशहाल बनाने की तैयारी
कोरबा 5 मार्च। हर साल की तरह इस बार भी होली के त्यौहार को रंगीन बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। होली के खुशनुमा रंग कई बार केमिकल और मिलावट की वजह से एक बुरा अनुभव छोड़ जाते हैं। इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ में महिला समूहों द्वारा हर्बल गुलाल तैयार कर होली को सुरक्षित और खुशहाल बनाने की तैयारी की जा रही है। इससे महिलाओं के स्वावलंबन की राह खुलने के साथ इकोफ्रेंडली होली से लोग रंगों के साइड इफेक्ट से बचेंगे।
होली पर्व में इस बार चुकंदर और भाजी के रंगों से बना हर्बल गुलाल बाजार में उपलब्ध रहेगा। कटघोरा विकासखण्ड के धवईपुर और ढेलवाडीहए अमरपुर गोठान संचालित करने वाली छै समूह की 60 महिलाएं इसे तैयार कर रही हैं। सब्जियोंए फूलों की पंखुडिय़ोंए गुलाब जलए चंदनए खस के इत्र आदि से तैयार हो रही हर्बल गुलाल की खास बात यह है कि इसमें किसी तरह का रसायनिक सामाग्री का उपयोग नहीं किया गया। गुलाल को पालक की भाजी से हरा रंगए लाल भाजी से गुलाबी रंगए चुकंदर से लाल रंगए हल्दी से पीला रंग दिया जा रहा है। गुलाबए गेंदाए टेसु जैसे फूलों की पंखुडिय़ों से भी यह महिलाएं प्रीमियम क्वालिटी का हर्बल गुलाल बना रहीं हैं। महिलाओं ने आगामी होली के त्यौहार तक अलग.अलग रंग के लगभग पांच क्विंटल हर्बल गुलाल बनाने का लक्ष्य तय किया है। अब तक दो क्विंटल गुलाल तैयार कर चुकी हैं। प्रशासन की मदद से इस गुलाल की बिक्री के लिए समूहों को कटघोरा व कोरबा सहित स्थानीय बाजार उपलब्ध कराने की तैयारी की गई है। धंवईपुर जननी महिला क्लस्टर संगठन की अध्यक्ष देवेश्वरी जायसवाल बताती हैं कि उन्हें और उनके जैसी लगभग 60 महिलाओं को दो चरणों में आजीविका मिशन के तहत हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण मिला है। इसमें किसी भी तरह के रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं किया गया है। इसमें चेहरे में निखार के लिए हल्दीए चंदनए गुलाब जल आदि मिलाया जा रहा है। रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं होने से यह गुलाल त्वचाए आंखए बाल आदि के लिए हानिकारक नहीं होगा और इसे बिना किसी चिंता के लोग होली में उपयोग कर सकेंगे। इसके साथ ही यह आसानी से शरीर से छूट भी जाएगा।
धवईपुर जननी महिला क्लस्टर संगठन से जुड़ी महिला समूह की पीआरपी फूल बाई मरकाम ने बताया कि एक किलो हर्बल गुलाल बनाने में 60 रूपये खर्च आता है। स्थानीय बाजार में 100 रूपये प्रति किलो की दर से बेचेंगे। आम बाजार में हर्बल के नाम से बिकने वाले गुलाल के मुकाबले यह अधिक विश्वसनीय और कम कीमत का हैण् देवेश्वरी जायसवाल ने आशा जताई है कि पांच क्विंटल हर्बल गुलाल से समूहों को होली के सीजन में 50 से 60 हजार रूपये का फायदा हो सकता है। समूहों ने आजीविका मिशन के अधिकारियों के साथ मिलकर स्थानीय थोक एवं फुटकर व्यापारियों के साथ स्वयं भी दुकानें लगाकर इस गुलाल की बिक्री की योजना तैयार कर ली है। इसके पहले समूह द्वारा कोरोना काल में मास्क बना कर अच्छी आय अर्जित की थी साथ रक्षाबंधन में राखियां तथा दीपावली में गोबर के दिये बनाने का काम महिला समूह द्वारा किया गया था। गुलाल तैयार करने के बारे में अध्यक्ष देवेश्वरी जायसवाल ने बताया कि हरा के लिए पालक या धनियाए पीला के लिए हल्दीए गुलाबी के लालभाजीए लाल के चुकंदर को महीन पीस कर उसका रंग निकाला जाता है। रंग के साथए तुलसीए चंदनए गुलाब आदि के अर्क को अरारोट में डाल कर उसे सूखाया जाता है। सूखने के बाद उसे पीस कर महीन कर दिया जाता हैं। पिसाई के बाद तैयार बाजार में बिक्री के लिए गुलाल को पैक करते हैं।
गोठान में गोबर व मिट्टी से कई तरह की सामाग्राी जैसे लक्ष्मी पांवए प्रतिमाए दीयाए गमला आदि सजावट के सामान तैयार किए जा रहे हैं। हर्बल गुलाल मिलाकर इन आकृतियों को और भी आकर्षक बनाया जा सकता हैं। जननी स्व सहायता समूह की अध्यक्ष देवेश्वरी का कहना है कि गुलाल की उपयोगिता को विविधता देने के लिए महिलाओं को जानकारी दी जा रही है। जिससे वे इसका अधिक से अधिक लाभ ले सकें। महिलाएं गुलाल के अलावा आचारए पापड़ए अगरबत्ती आदि घरेलू सामान भी तैयार कर रही हैं। इससे आत्मनिर्भरता के लिए उन्हे आगे बढऩे का अवसर मिल रहा है। आगामी होली के त्यौहार को देखते हुए धंवईपुरए ढेलवाडीह की जननी महिला क्लस्टर संगठन महिला समूह में हर्बल गुलाल तैयार किया गया है। महिला समूह को पूरी उम्मीद है कि इस कार्य से महिला समूह संगठन स्वावलंबी बनेंगी।